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अमेरिका की गुप्त मदद से पाकिस्तानी वायुसेना को फिर से खड़ा करने की कोशिश

एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद बुरी तरह प्रभावित पाकिस्तानी वायुसेना को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका ने गुप्त रूप से सहायता प्रदान की है। इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना को भारी नुकसान हुआ, जिसमें कई महत्वपूर्ण विमान और रडार सिस्टम शामिल हैं। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका ने इस मरम्मत कार्य में चीन को शामिल होने से रोका। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और इसके पीछे की कहानी।
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अमेरिका की गुप्त मदद से पाकिस्तानी वायुसेना को फिर से खड़ा करने की कोशिश

ऑपरेशन सिंदूर के बाद की स्थिति

नई दिल्ली: एक नई रिपोर्ट में यह दावा किया गया है कि भारतीय सेना के 'ऑपरेशन सिंदूर' के परिणामस्वरूप बुरी तरह प्रभावित पाकिस्तानी वायुसेना को पुनर्जीवित करने के लिए अमेरिका ने गुप्त रूप से सहायता प्रदान की है। हालांकि, इस गंभीर आरोप की कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है।


रिपोर्ट के अनुसार, यह कार्रवाई पहलगाम में हुए एक आतंकवादी हमले के जवाब में की गई थी, जिसमें भारतीय सेना ने पाकिस्तानी क्षेत्र में स्थित आतंकवादी ठिकानों को निशाना बनाया।


सीएनएन-न्यूज18 की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस ऑपरेशन के दौरान पाकिस्तानी वायुसेना को भारी नुकसान उठाना पड़ा। रिपोर्ट में कहा गया है कि इस हमले में पाकिस्तान के एक साब ईरी 2000 AWACS (एयरबॉर्न अर्ली वॉर्निंग एंड कंट्रोल सिस्टम) विमान, एक लॉकहीड सी-130 परिवहन विमान और कम से कम चार एफ-16 लड़ाकू विमानों को नुकसान पहुँचा। इसके अलावा, कई रडार सिस्टम और एयर डिफेंस यूनिट्स भी तबाह हो गए।


रिपोर्ट में यह भी उल्लेख किया गया है कि सबसे अधिक नुकसान पाकिस्तानी वायुसेना के भोलारी एयरबेस को हुआ, जहाँ एक एफ-16 विमान भी हमले की चपेट में आ गया था।


पाकिस्तानी रक्षा सूत्रों के अनुसार, भोलारी एयरबेस पर क्षतिग्रस्त ईरी विमान की मरम्मत के लिए अमेरिकी वायुसेना के इंजीनियरों की एक टीम तुरंत पाकिस्तान पहुँची थी। इस मरम्मत और अपग्रेडेशन के लिए पाकिस्तान ने 400 से 470 मिलियन डॉलर की राशि को गुप्त आपातकालीन फंड से मंजूरी दी थी। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अमेरिका ने इस मरम्मत कार्य में चीन को शामिल होने से रोकने का प्रयास किया।


रिपोर्ट के अनुसार, तत्कालीन पाकिस्तानी सेना प्रमुख फील्ड मार्शल आसिम मुनीर ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप से मदद की गुहार लगाई थी, जिसके बाद अमेरिका ने दोहा, अबू धाबी और मैरीलैंड में स्थित अपने एयरबेस से विशेषज्ञों की टीमें पाकिस्तान भेजी थीं। वर्तमान में यह कहा जा रहा है कि अधिकांश नुकसान की भरपाई की जा चुकी है।