अमेरिका के ईरान-इजरायल संघर्ष में हस्तक्षेप पर देशभर में विरोध प्रदर्शन

अमेरिका की भूमिका पर उठे सवाल
ईरान और इजरायल के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका की सक्रियता अब उसके अपने देश में भारी विरोध का कारण बनती जा रही है। ईरान के तीन प्रमुख परमाणु स्थलों - फोर्डो, इस्फहान और नतांज पर अमेरिका द्वारा किए गए हवाई हमलों के बाद, न्यूयॉर्क सहित कई प्रमुख शहरों में विरोध प्रदर्शन तेज हो गए हैं। ये हमले ऑपरेशन मिडनाइट हैमर के तहत किए गए, जिसे ट्रंप प्रशासन ने वैश्विक शांति के नाम पर सही ठहराया है। हालांकि, अमेरिकी नागरिक इस निर्णय को अनुचित मानते हुए सड़कों पर उतर आए हैं।
न्यूयॉर्क में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन
रविवार को न्यूयॉर्क के मैनहट्टन में हजारों लोग सड़कों पर उतर आए। प्रदर्शनकारियों ने फिलिस्तीनी झंडे लहराते हुए नारे लगाए, जैसे "ईरान में युद्ध बंद करो" और "हमें वैश्विक युद्ध में मत घसीटो"। उनके हाथों में तख्तियां थीं, जिन पर ट्रंप और इजरायल की नीतियों के खिलाफ तीखा विरोध दर्ज किया गया था।
इजरायल के खिलाफ भी गुस्सा
विरोध केवल अमेरिका की कार्रवाई तक सीमित नहीं रहा। प्रदर्शनकारियों ने इजरायल के प्रति भी आक्रोश व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि इजरायल पहले से ही गाजा में मानवता के खिलाफ युद्ध छेड़े हुए है और अब उसने ईरान के साथ संघर्ष को और भड़का दिया है। एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "गाजा में बर्बादी की ज़िम्मेदारी इजरायल की है, और अब अमेरिका उसके साथ मिलकर पूरे मध्य पूर्व को युद्ध की आग में झोंक रहा है।"
न्यूयॉर्क पुलिस की तैयारियां
न्यूयॉर्क पुलिस विभाग ने बढ़ते प्रदर्शनों को देखते हुए शहर के संवेदनशील इलाकों में अतिरिक्त सुरक्षाबल तैनात कर दिए हैं। पुलिस ने अपने सोशल मीडिया हैंडल पर जानकारी दी कि "हम ईरान में चल रही गतिविधियों पर नजर बनाए हुए हैं और न्यूयॉर्क में किसी भी स्थिति से निपटने के लिए तैयार हैं। शहर की सुरक्षा सर्वोपरि है और हम संघीय एजेंसियों से लगातार संपर्क में हैं।"
ट्रंप प्रशासन पर बढ़ता दबाव
जहां वैश्विक स्तर पर अमेरिका को फिलहाल इस हमले के लिए कोई बड़ा राजनीतिक विरोध नहीं मिला है, वहीं अपने देश में ट्रंप प्रशासन आलोचनाओं के घेरे में आ गया है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह हमला अमेरिका को एक लंबे और अनिश्चित संघर्ष में धकेल सकता है, जिससे न केवल उसकी अर्थव्यवस्था, बल्कि आंतरिक स्थिरता भी प्रभावित हो सकती है।