अमेरिका के एच1बी वीजा नीति में बदलाव: भारतीय उद्योग पर प्रभाव

एच1बी वीजा शुल्क में वृद्धि
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एच1बी वीजा शुल्क में 10 गुना वृद्धि की है।
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में एच1बी वीजा के लिए निर्धारित शुल्क को बढ़ाकर एक लाख अमेरिकी डॉलर कर दिया है। इस निर्णय का भारतीय नागरिकों पर गहरा प्रभाव पड़ेगा। भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि भारत सरकार ने इस नए शुल्क के संबंध में जानकारी प्राप्त की है और अब वे इस पर अध्ययन करेंगे। यह निर्णय दोनों देशों के उद्योगों पर भी असर डाल सकता है।
वीजा नीति का महत्व
जायसवाल ने बताया कि सरकार को उम्मीद है कि अमेरिकी अधिकारी इस मुद्दे का उचित समाधान निकालेंगे। भारतीय उद्योग ने एच1बी कार्यक्रम से संबंधित कुछ धारणाओं को स्पष्ट करते हुए एक प्रारंभिक विश्लेषण प्रस्तुत किया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि कुशल प्रतिभाओं का आदान-प्रदान अमेरिका और भारत में प्रौद्योगिकी विकास, नवाचार, और आर्थिक विकास में महत्वपूर्ण योगदान देता है। इसलिए, नीति निर्माताओं को हाल के कदमों का मूल्यांकन करते समय पारस्परिक लाभों को ध्यान में रखना चाहिए।
भारत और चीन पर प्रभाव
विशेषज्ञों का मानना है कि अमेरिका का यह निर्णय भारत और चीन दोनों पर गहरा असर डालेगा। अंतरराष्ट्रीय कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को एच1बी वीजा के तहत अमेरिका में काम पर लौटने के निर्देश दिए हैं। अमेरिका ने 21 सितंबर तक की छूट दी है। इसी बीच, माइक्रोसॉफ्ट और अमेज़न जैसी कंपनियों ने अपने कर्मचारियों को तुरंत ड्यूटी पर लौटने की सलाह दी है। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप के इस निर्णय से टेक्नोलॉजी क्षेत्र को बड़ा झटका लग सकता है।