अमेरिका के राष्ट्रपति ट्रंप की भारत पर टिप्पणियाँ और एससीओ सम्मेलन की तस्वीरें
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत, रूस और चीन के संबंधों पर चिंता जताई है। एससीओ सम्मेलन में मोदी, पुतिन और जिनपिंग की तस्वीरों ने ट्रंप को परेशान कर दिया है। इस बीच, भारतीय विदेश मंत्रालय ने ट्रंप की टिप्पणियों पर कोई टिप्पणी नहीं की है। जानें इस मुद्दे पर और क्या हो रहा है और कैसे यह वैश्विक राजनीति को प्रभावित कर रहा है।
Sep 5, 2025, 16:54 IST
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ट्रंप की बयानबाजी और एससीओ सम्मेलन की तस्वीरें
अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और उनके सहयोगी लगातार भारत के खिलाफ बयान दे रहे हैं। रूस से तेल खरीदने पर उन्होंने टैरिफ भी लगाया है। वहीं, एससीओ बैठक से आई वैश्विक स्थिति की बदलती तस्वीर ने पूरी दुनिया को हिलाकर रख दिया है। रूस के राष्ट्रपति पुतिन, चीनी राष्ट्रपति जिनपिंग और भारत के पीएम मोदी की एक साथ मुस्कुराते हुए तस्वीरें अमेरिका के लिए चिंता का विषय बन गई हैं। ट्रंप अपने देश में आलोचना का सामना कर रहे हैं, और उनकी टैरिफ नीति पर सवाल उठाए जा रहे हैं। ट्रंप ने मोदी, पुतिन और जिनपिंग की एससीओ समिट की तस्वीर साझा करते हुए प्रतिक्रिया दी है। इस पर भारतीय विदेश मंत्रालय ने भी बयान जारी किया है।
ट्रंप की टिप्पणियाँ और विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया
ट्रंप ने अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्रूथ सोशल पर मोदी, जिनपिंग और पुतिन की तस्वीर साझा करते हुए लिखा कि उन्हें लगता है कि भारत और रूस को चीन के हाथों खो दिया गया है। इस पर विदेश मंत्रालय (एमईए) ने ट्रंप की टिप्पणियों पर प्रतिक्रिया दी। विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा कि इस विषय पर कोई टिप्पणी नहीं करनी है।
ग्लोबल साउथ की मजबूती
मजबूत होता ग्लोबल साउथ
यह बयान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की एससीओ शिखर सम्मेलन के दौरान व्लादिमीर पुतिन और शी जिनपिंग के साथ द्विपक्षीय बैठकों के बाद आया है, जो इस समूह के इतिहास में सबसे बड़ा सम्मेलन था। चीन द्वारा आयोजित इस शिखर सम्मेलन में 10 सदस्य देशों और संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस सहित 20 आमंत्रित नेताओं ने भाग लिया। अपने उद्घाटन भाषण में, शी जिनपिंग ने एससीओ से क्षेत्रीय शांति और स्थिरता की रक्षा करने और वैश्विक दक्षिण की ताकत को एकजुट करने का आग्रह किया। डोनाल्ड ट्रंप द्वारा भारतीय वस्तुओं पर टैरिफ को 50 प्रतिशत तक बढ़ाने और भारत द्वारा रूसी कच्चे तेल के आयात पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त शुल्क लगाने के बाद नई दिल्ली और वाशिंगटन के बीच संबंध और खराब हो गए हैं।