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अमेरिका के व्यापार शुल्क पर रूस और भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

अमेरिका द्वारा कई देशों पर भारी व्यापार शुल्क लगाने के निर्णय ने वैश्विक बाजारों में हलचल मचा दी है। रूस और भारत ने इस पर कड़ी प्रतिक्रिया दी है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि यह नीति केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन के लिए भी खतरा है। रूस ने इसे नव-उपनिवेशवाद की ओर बढ़ने का संकेत बताया है, जबकि भारत ने अपने ऊर्जा हितों की रक्षा करने का संकल्प लिया है। जानें इस मुद्दे पर और क्या कहा गया है।
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अमेरिका के व्यापार शुल्क पर रूस और भारत की कड़ी प्रतिक्रिया

अर्थव्यवस्था पर अमेरिका के कदमों का प्रभाव

विश्व स्तर पर आर्थिक दबाव और संरक्षणवादी नीतियों पर एक नई बहस शुरू हो गई है। अमेरिका द्वारा कई देशों पर भारी व्यापार शुल्क लगाने के निर्णय ने वैश्विक बाजारों में हलचल पैदा कर दी है। कई राष्ट्र इसे आर्थिक दबाव की रणनीति के रूप में देख रहे हैं। इस संदर्भ में, रूस और भारत ने सख्त प्रतिक्रिया व्यक्त की है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि वाशिंगटन की नीति को अब केवल व्यापारिक दृष्टिकोण से नहीं, बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन के लिए खतरे के रूप में भी देखा जा रहा है।


रूसी विदेश मंत्रालय की प्रवक्ता मारिया ज़खारोवा ने कहा कि अमेरिका की मौजूदा रणनीति, जिसमें आर्थिक दबाव और प्रतिबंध शामिल हैं, उसकी घटती अंतरराष्ट्रीय पकड़ का संकेत है। ज़खारोवा के अनुसार, अमेरिका अपने प्रभुत्व को बनाए रखने की कोशिश में नव-उपनिवेशवाद की ओर बढ़ रहा है और जो देश स्वतंत्र निर्णय लेना चाहते हैं, उन पर आर्थिक दबाव बना रहा है।


उन्होंने यह भी बताया कि अमेरिका की यह नीति केवल व्यापार तक सीमित नहीं है, बल्कि यह उभरती बहुध्रुवीय विश्व व्यवस्था को रोकने का प्रयास है। ज़खारोवा ने कहा कि वर्तमान में प्रतिबंध और आर्थिक पाबंदियाँ एक वैश्विक प्रवृत्ति बन चुकी हैं, जिनका प्रभाव कई देशों पर पड़ रहा है।


ब्रिक्स देशों के सहयोग की ओर इशारा करते हुए ज़खारोवा ने कहा कि अमेरिका का टैरिफ निर्णय इस साझेदारी की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। उन्होंने दावा किया कि ब्रिक्स और अन्य विकासशील देश इस तरह की रणनीति के खिलाफ एकजुट हैं, और रूस को इन देशों का मजबूत समर्थन मिल रहा है, विशेषकर वैश्विक दक्षिण में।


भारत ने भी अमेरिका की चेतावनी पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। राष्ट्रपति ट्रंप द्वारा रूस से तेल आयात पर अतिरिक्त शुल्क लगाने की धमकी के बाद, भारत ने इसे अनुचित और पक्षपातपूर्ण बताया। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह अपने ऊर्जा हितों को प्राथमिकता देगा और किसी भी प्रकार के विदेशी दबाव को स्वीकार नहीं करेगा।