अमेरिका द्वारा भारत पर 50% टैरिफ का प्रभाव और कारण

अमेरिका का नया टैरिफ निर्णय
टैरिफ का प्रभाव: हाल ही में अमेरिका ने भारत पर 25 प्रतिशत अतिरिक्त टैरिफ लागू कर दिया है, जिससे कुल टैरिफ 50 प्रतिशत हो गया है। यह कदम भारतीय उत्पादों की अमेरिका में बिक्री को प्रभावित कर सकता है और उन देशों के उत्पादों को बढ़ावा दे सकता है जिन पर कम टैरिफ लागू है। इस निर्णय के पीछे भारत द्वारा रूस से तेल आयात जारी रखने का कारण बताया जा रहा है।
रूस-यूक्रेन संघर्ष और भारत का तेल आयात
रूस और यूक्रेन के बीच चल रहे युद्ध के कारण अमेरिका और अन्य पश्चिमी देशों ने रूस पर कड़े आर्थिक प्रतिबंध लगाए हैं। अमेरिका ने रूस से युद्ध समाप्त करने का दबाव बनाया है, लेकिन भारत ने अपनी रणनीतिक मित्रता को ध्यान में रखते हुए रूस से तेल खरीदना जारी रखा है। इसी कारण अमेरिकी राष्ट्रपति ने भारत के खिलाफ टैरिफ बढ़ाने का निर्णय लिया है। ट्रंप का आरोप है कि भारत सस्ते दामों पर रूस से तेल खरीद रहा है और इसे महंगे दामों पर अन्य देशों को बेचकर लाभ कमा रहा है।
भारत और ट्रंप के बीच तनाव के अन्य कारण
टैरिफ वृद्धि का कारण केवल तेल आयात नहीं है। मई 2023 में भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष के बाद ट्रंप ने खुद को शांति का मध्यस्थ बताया, जबकि भारत ने इसे द्विपक्षीय समझौता बताया। पाकिस्तान ने ट्रंप को सीजफायर का श्रेय दिया, जिससे ट्रंप की नाराजगी और बढ़ गई। इसके अलावा, भारत ने ट्रंप को नोबेल शांति पुरस्कार दिलाने की मांग नहीं की, जबकि अन्य देशों ने ऐसा किया था। भारत ने स्पष्ट किया कि इस मामले में वाइट हाउस से संपर्क किया जाना चाहिए।
कृषि और डेयरी क्षेत्र पर अमेरिकी दबाव
भारत का कृषि और डेयरी क्षेत्र बड़ा है, और अमेरिका इसमें अपनी हिस्सेदारी बढ़ाना चाहता है। अमेरिका ने भारत से मक्का, सेब, और सोयाबीन पर टैरिफ कम करने की मांग की है, साथ ही अपने डेयरी उत्पादों को भारतीय बाजार में बेहतर पहुंच दिलाने की कोशिश की है। लेकिन भारत सरकार किसानों के हितों को प्राथमिकता देती है और ऐसे प्रस्तावों को स्वीकार करने को तैयार नहीं है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट किया है कि भारत किसानों के हितों से कोई समझौता नहीं करेगा।
भारत की रणनीति और अमेरिकी टैरिफ का प्रभाव
अमेरिका का टैरिफ बढ़ाने का उद्देश्य भारत को रूस से तेल खरीदने से रोकना है, लेकिन भारत ने ऐसा कदम उठाने से इनकार कर दिया है। भारत ने स्पष्ट किया है कि वह केवल राष्ट्रीय हित में निर्णय लेगा। इस कारण से भारत और अमेरिका के बीच व्यापारिक संबंधों में तनाव बढ़ा है, और भविष्य में व्यापार डील पर इसका असर पड़ सकता है। अमेरिका द्वारा लगाए गए टैरिफ का कारण केवल तेल आयात नहीं है, बल्कि कई राजनीतिक और आर्थिक पहलू भी हैं। ट्रंप की नाराजगी के पीछे सीजफायर का क्रेडिट न मिलना, नोबेल शांति पुरस्कार की मांग न करना, और अमेरिकी कृषि उत्पादों के लिए भारत का सख्त रुख भी शामिल हैं। भारत की प्राथमिकता अपने किसानों और देशहित की रक्षा करना है, और यही कारण है कि वह अमेरिका के दबाव के बावजूद रूस से तेल खरीदना जारी रख रहा है।