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अमेरिका ने 29 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाया

अमेरिका ने हाल ही में 29 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। ये राजदूत बाइडन प्रशासन के दौरान नियुक्त किए गए थे और पहले ट्रंप प्रशासन के समय भी अपने पद पर बने रहे। इस कदम से विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना जताई जा रही है। जानें कि किन देशों के राजदूतों को वापस बुलाया गया है और इसका प्रभाव क्या होगा।
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अमेरिका ने 29 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाया

बाइडन प्रशासन के तहत राजदूतों की नियुक्ति


अमेरिका ने हाल ही में 29 देशों से अपने राजदूतों को वापस बुलाने का निर्णय लिया है। ये राजदूत बाइडन प्रशासन के दौरान नियुक्त किए गए थे और पहले ट्रंप प्रशासन के समय भी अपने पद पर बने रहे। अब इन राजदूतों को हटा दिया गया है, जिससे विदेश नीति में महत्वपूर्ण बदलाव की संभावना जताई जा रही है। ट्रंप प्रशासन ने ऐसे राजदूतों की नियुक्ति की थी जो अमेरिका की प्राथमिकताओं का समर्थन करते हों।


राजदूतों की सेवा अवधि और भविष्य

यह ध्यान देने योग्य है कि अमेरिकी राजदूत आमतौर पर तीन से चार साल तक अपने पद पर रहते हैं और उनकी नियुक्ति राष्ट्रपति की इच्छा पर निर्भर करती है। जिन राजदूतों को वापस बुलाया गया है, उनकी विदेश सेवा की नौकरियों पर कोई असर नहीं पड़ेगा, और वे चाहें तो अन्य कार्यों के लिए वाशिंगटन लौट सकते हैं।


विदेश विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पिछले सप्ताह कम से कम 29 देशों में तैनात राजदूतों को सूचित किया गया कि उनकी सेवाएं जनवरी में समाप्त होंगी। इन सभी को नोटिस मिलने की प्रक्रिया पिछले बुधवार से शुरू हुई।


अफ्रीकी देशों पर प्रभाव

स्टेट डिपार्टमेंट ने यह स्पष्ट नहीं किया है कि कुल कितने राजनयिक प्रभावित होंगे, लेकिन इस निर्णय का सबसे अधिक असर अफ्रीकी देशों पर पड़ा है। अफ्रीका के 13 देशों जैसे बुरुंडी, कैमरून, केप वर्डे, गैबॉन, आइवरी कोस्ट, मेडागास्कर, मॉरीशस, नाइजर, नाइजीरिया, रवांडा, सेनेगल, सोमालिया और युगांडा से राजदूतों को वापस बुलाया जा रहा है।


अन्य देशों के राजदूतों में बदलाव

एशिया में, फिजी, लाओस, मार्शल आइलैंड्स, पापुआ न्यू गिनी, फिलीपींस और वियतनाम में तैनात अमेरिकी राजदूतों को भी बदला जा रहा है। यूरोप में आर्मेनिया, नॉर्थ मैसेडोनिया, मोंटेनेग्रो और स्लोवाकिया के राजदूतों को भी वापस बुलाया जा रहा है। इसके अलावा, मध्य पूर्व के अल्जीरिया और मिस्र, दक्षिण और मध्य एशिया के नेपाल और श्रीलंका, और पश्चिमी गोलार्ध के ग्वाटेमाला और सूरीनाम से भी करियर डिप्लोमैट्स को वापस बुलाया जा रहा है।