अमेरिका ने एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए नई राहत गाइडलाइन जारी की

एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए राहत
वाशिंगटन: अमेरिका में एच-1बी वीज़ा धारकों के लिए एक महत्वपूर्ण राहत की सूचना आई है। अमेरिकी गृह सुरक्षा विभाग ने हाल ही में 1 लाख डॉलर (लगभग 83 लाख रुपये) की आवेदन शुल्क के संबंध में नई गाइडलाइन जारी की है। इस गाइडलाइन में कई प्रकार की छूट और अपवाद शामिल हैं। नए नियमों के अनुसार, जो विदेशी कर्मचारी अन्य वीज़ा श्रेणियों जैसे एफ-1 (छात्र वीज़ा) से एच-1बी वीज़ा में परिवर्तन कर रहे हैं, उन्हें यह भारी शुल्क नहीं देना होगा। इसी तरह, जो लोग पहले से अमेरिका में हैं और अपने एच-1बी वीज़ा में संशोधन, स्थिति परिवर्तन या अवधि बढ़ाने के लिए आवेदन कर रहे हैं, उनसे भी यह शुल्क नहीं लिया जाएगा। वर्तमान में जिनके पास मान्य एच-1बी वीज़ा है, उन्हें अमेरिका में यात्रा करने में कोई रोक नहीं होगी।
यह घोषणा केवल उन नए वीज़ा आवेदकों पर लागू होती है जो अमेरिका से बाहर हैं और जिनके पास वैध एच-1बी वीज़ा नहीं है। इसमें नए आवेदनों के लिए एक ऑनलाइन भुगतान लिंक भी प्रदान किया गया है। यह स्पष्टीकरण अमेरिका के सबसे बड़े व्यावसायिक संगठन, यूएस चैंबर ऑफ कॉमर्स द्वारा ट्रम्प प्रशासन के नए नियमों के खिलाफ मुकदमा दायर करने के दो दिन बाद आया है। उनका कहना है कि यह नई शुल्क संरचना अमेरिकी कंपनियों को बड़ा नुकसान पहुंचाएगी, क्योंकि इससे उनकी श्रम लागत में वृद्धि होगी या उन्हें कुशल विदेशी कर्मचारियों की भर्ती में कमी करनी पड़ेगी।
याचिका में यह भी कहा गया है कि ट्रंप का 19 सितंबर का आदेश “कानूनी रूप से गलत” है और इससे अमेरिका के आर्थिक प्रतिद्वंद्वियों को लाभ होगा। इससे पहले, 3 अक्टूबर को शिक्षकों, यूनियनों और अन्य संगठनों के समूह ने भी इसी नियम के खिलाफ मुकदमा दायर किया था। ट्रंप ने इस आदेश पर हस्ताक्षर करते समय कहा था कि इसका उद्देश्य “अमेरिकी नागरिकों को नौकरी में प्राथमिकता देना” है। हालांकि, इससे यह भ्रम उत्पन्न हुआ कि क्या यह नियम पहले से वीज़ा धारकों पर भी लागू होगा, जिन्हें अमेरिका लौटने में कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।
व्हाइट हाउस ने 20 सितंबर को एक स्पष्टीकरण जारी करते हुए कहा कि यह एक एकमुश्त शुल्क है जो केवल नए वीज़ा पर लागू होता है, न कि नवीनीकरण या मौजूदा वीज़ा धारकों पर। उल्लेखनीय है कि वर्ष 2024 में कुल स्वीकृत एच-1बी वीज़ाओं में से 70 प्रतिशत से अधिक भारतीय मूल के कर्मचारियों को मिले थे, क्योंकि भारत से आने वाले कुशल पेशेवरों की संख्या सबसे अधिक है और लंबित आवेदनों की संख्या भी बहुत बड़ी है।