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अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ अद्भुत साझेदार माना

पाकिस्तान, जो पहले आतंकवादियों का आश्रय स्थल माना जाता था, अब अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी बन गया है। अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 'अद्भुत साझेदार' के रूप में मान्यता दी है। यह बदलाव तब आया जब पाकिस्तान ने आईएसआईएस के आतंकियों को अमेरिका को प्रत्यर्पित किया। जनरल माइकल कुरीला ने पाकिस्तान की सराहना की है और बताया है कि पाकिस्तान और भारत दोनों ही अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं। जानें इस नई स्थिति के पीछे की कहानी और पाकिस्तान की भूमिका के बारे में अधिक जानकारी।
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पाकिस्तान की नई भूमिका

पाकिस्तान, जिसने ओसामा बिन लादेन जैसे खतरनाक आतंकवादी को अपने देश में छिपाया था, अब अमेरिका के लिए एक महत्वपूर्ण सहयोगी बन गया है। अमेरिका ने पाकिस्तान को आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में 'अद्भुत साझेदार' के रूप में मान्यता दी है। यह बदलाव तब आया जब पाकिस्तान ने आईएसआईएस (खोरासान) के पांच आतंकियों को अमेरिका को प्रत्यर्पित किया। अमेरिकी सैन्य कमांडर जनरल माइकल कुरीला ने इस बात की पुष्टि की है। उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों ही अमेरिका के लिए महत्वपूर्ण हैं और एक को दूसरे के लिए नहीं छोड़ा जा सकता।


जनरल कुरीला ने यूएस सेंट्रल कमांड (CENTCOM) की संसदीय समिति के सामने पाकिस्तान की सराहना की। उनके अनुसार, 2024 से अब तक पाकिस्तान के अफगानिस्तान से सटे क्षेत्रों में लगभग एक हजार आतंकवादी हमले हुए हैं, जिनमें से अधिकांश आईएसआईएस और अन्य आतंकवादी संगठनों द्वारा किए गए हैं। इन हमलों में 700 पाकिस्तानी सैनिकों और 2500 नागरिकों की जान गई है। इसके बावजूद, पाकिस्तानी सेना इन आतंकियों के खिलाफ लड़ाई जारी रखे हुए है।


सोशल मीडिया पर जनरल कुरीला का एक वीडियो वायरल हो रहा है, जिसमें उन्होंने पाकिस्तानी फील्ड मार्शल आसिम मुनीर की प्रशंसा की है। कुरीला ने बताया कि IS के आतंकवादी शरीफुल्लाह की गिरफ्तारी के बाद मुनीर ने सबसे पहले उन्हें फोन किया और रक्षा सचिव को सूचित किया कि पाकिस्तान उन्हें अमेरिका को प्रत्यर्पित करने के लिए तैयार है।


2021 में, जब अमेरिका अफगानिस्तान से निकल रहा था, तब काबुल एयरपोर्ट पर अमेरिकी सेना पर एक आतंकवादी हमला हुआ था, जिसमें कई अमेरिकी सैनिक मारे गए थे। अमेरिका ने इस हमले का आरोप शरीफुल्लाह पर लगाया था। उसी वर्ष मार्च में, पाकिस्तानी सैनिकों ने शरीफुल्लाह को पकड़कर अमेरिका को सौंप दिया था।