अमेरिका में भारतीय छात्र की पुलिस गोलीबारी में मौत, नस्लीय उत्पीड़न के आरोप

घटना का विवरण
न्यूयॉर्क/महबूबनगर: अमेरिका के कैलिफोर्निया में सांता क्लारा पुलिस द्वारा की गई गोलीबारी में तेलंगाना के 30 वर्षीय भारतीय छात्र और सॉफ्टवेयर इंजीनियर, मोहम्मद निजामुद्दीन की जान चली गई। वह अमेरिका में मास्टर्स की पढ़ाई के बाद तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत थे।
घटना का समय और कारण
यह घटना 3 सितंबर को हुई, जब निजामुद्दीन का अपने रूममेट के साथ विवाद हुआ। सांता क्लारा पुलिस ने बताया कि उन्हें 911 पर चाकूबाजी की सूचना मिली थी। जब पुलिस मौके पर पहुंची, तो एक संदिग्ध ने उनके आदेशों का पालन नहीं किया, जिसके परिणामस्वरूप गोली चलाई गई। रूममेट को चाकू से गंभीर चोटें आई हैं और उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया है।
परिवार की प्रतिक्रिया
परिवार ने पुलिस के बयान पर सवाल उठाते हुए कहा कि निजामुद्दीन ने खुद पुलिस को मदद के लिए कॉल किया था। उनके परिजनों का मानना है कि पुलिस ने पूर्वाग्रह के आधार पर कार्रवाई की।
नस्लीय उत्पीड़न के आरोप
मोहम्मद निजामुद्दीन के परिवार और दोस्तों ने बताया कि वह एक शांत और धार्मिक व्यक्ति थे। घटना से लगभग दो हफ्ते पहले, उन्होंने लिंक्डइन पर नस्लीय उत्पीड़न और नौकरी से अनुचित निकाले जाने के गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने लिखा था, "बहुत हो गया, श्वेत वर्चस्व को समाप्त करना होगा।"
शव की वापसी और जांच की मांग
भारत में निजामुद्दीन का शव सांता क्लारा के एक अस्पताल में रखा गया है। मजलिस बचाओ तहरीक (एमबीटी) के प्रवक्ता अमजद उल्लाह खान ने निजामुद्दीन के परिवार से मुलाकात की और विदेश मंत्री एस. जयशंकर को पत्र लिखकर मामले में हस्तक्षेप की मांग की है। पत्र में अनुरोध किया गया है कि भारतीय दूतावास इस मामले की विस्तृत रिपोर्ट दे और शव को भारत लाने में सहायता करे।
शिक्षा और करियर
निजामुद्दीन ने अमेरिका के फ्लोरिडा में कंप्यूटर साइंस में मास्टर्स की डिग्री प्राप्त की थी और विभिन्न तकनीकी कंपनियों में काम कर चुके थे। उनकी अचानक मृत्यु ने भारतीय समुदाय को गहरा सदमा पहुंचाया है और कई सवाल खड़े कर दिए हैं।