अमेरिकी अदालत ने ट्रंप के आयात शुल्क आदेश पर लगाई रोक

अमेरिकी अदालत का महत्वपूर्ण निर्णय
एक संघीय अदालत ने बुधवार को राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के आदेश पर रोक लगा दी, जिसमें उन्होंने आपातकालीन शक्तियों के तहत आयात पर भारी शुल्क लगाने का निर्देश दिया था। इस फैसले ने ट्रंप की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाए हैं, जो वैश्विक वित्तीय बाजारों में हलचल पैदा कर चुकी हैं।
आर्थिक चिंताएं और व्यापार साझेदारों की निराशा
इन नीतियों के कारण व्यापार साझेदारों में निराशा बढ़ी है और मुद्रास्फीति के बढ़ने तथा अर्थव्यवस्था में मंदी की आशंकाएं गहरा गई हैं। न्यूयॉर्क में स्थित अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार अदालत की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने यह निर्णय सुनाया।
ट्रंप के अधिकारों का दुरुपयोग
इससे पहले कई मुकदमों में यह तर्क दिया गया था कि ट्रंप अपने अधिकारों का दुरुपयोग कर देश की व्यापार नीति को अपने मनमाने तरीके से निर्धारित कर रहे हैं। ट्रंप का कहना है कि शुल्क लगाने से निर्माता कंपनियां अमेरिका में वापस आएंगी, जिससे रोजगार के अवसर बढ़ेंगे।
संघीय बजट घाटे में कमी का दावा
ट्रंप का यह भी कहना है कि इससे संघीय बजट घाटे को कम करने के लिए आवश्यक राजस्व प्राप्त होगा। मामले की सुनवाई करने वाली न्यायाधीशों में ट्रंप द्वारा नियुक्त टिमोथी रीफ, पूर्व राष्ट्रपति रोनाल्ड रीगन द्वारा नियुक्त जेन रेस्टानी और पूर्व राष्ट्रपति बराक ओबामा द्वारा नियुक्त गैरी कैट्जमैन शामिल हैं।
अदालत का निर्णय और आईईईपीए का संदर्भ
अदालत ने अपने निर्णय में कहा, "राष्ट्रपति ने आईईईपीए द्वारा प्रदत्त अधिकारों से आगे बढ़कर वैश्विक और जवाबी शुल्क लगाने का आदेश दिया है।" उन्होंने 1977 के अंतरराष्ट्रीय आपात आर्थिक शक्तियां अधिनियम (आईईईपीए) का उल्लेख किया।
विशेष अदालत की भूमिका
यह मामला अमेरिकी अंतरराष्ट्रीय व्यापार न्यायालय में दायर किया गया था, जो एक संघीय अदालत है और विशेष रूप से अंतरराष्ट्रीय व्यापार कानून से संबंधित सिविल मुकदमों की सुनवाई करती है।
ट्रंप के आदेश के खिलाफ मुकदमे
हालांकि शुल्क लगाने के लिए आमतौर पर संसद की मंजूरी की आवश्यकता होती है, ट्रंप ने कहा है कि उनके पास व्यापार घाटे को कम करने के लिए कार्रवाई करने का अधिकार है। उनके आदेश के खिलाफ कम से कम सात मुकदमे दायर किए गए हैं।
व्यापार घाटे को कम करने के प्रयास
ट्रंप ने अमेरिका के लंबे समय से चले आ रहे व्यापार घाटे को कम करने के प्रयास में दुनिया के कई देशों पर शुल्क लगाया है, जिसमें कनाडा, चीन और मैक्सिको शामिल हैं।