अमेरिकी उपराष्ट्रपति ने ट्रंप के चीन पर शुल्क निर्णय पर दी जानकारी
चीन से तेल पर शुल्क का मामला
अमेरिकी उपराष्ट्रपति जे.डी. वांस ने हाल ही में बताया कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने अभी तक यह तय नहीं किया है कि चीन से रूस द्वारा खरीदे गए तेल पर कोई शुल्क लगाया जाएगा या नहीं। उन्होंने 'फॉक्स न्यूज संडे' पर कहा, "राष्ट्रपति इस मुद्दे पर विचार कर रहे हैं, लेकिन अभी तक कोई ठोस निर्णय नहीं लिया गया है।" जब उनसे पूछा गया कि क्या ट्रंप भारत जैसे देशों पर रूस से तेल खरीदने के कारण भारी शुल्क लगाएंगे, तो वांस ने कहा, "चीन का मामला थोड़ा जटिल है, क्योंकि हमारे संबंधों में कई अन्य पहलू शामिल हैं जो रूस के मुद्दे से अलग हैं।" उन्होंने यह भी कहा कि ट्रंप सभी विकल्पों का मूल्यांकन कर रहे हैं और उचित समय पर निर्णय लेंगे।भारत पर भारी शुल्क लगाने के बावजूद, ट्रंप चीन पर चुप क्यों हैं? जुलाई में, चीन ने रूस से लगभग 10 बिलियन डॉलर का कच्चा तेल खरीदा था, फिर भी ट्रंप ने चीन पर शुल्क लगाने का कोई संकेत नहीं दिया। यह स्थिति दिलचस्प है, क्योंकि ट्रंप ने पहले भारत पर कड़ा रुख अपनाया था। पिछले हफ्ते, उन्होंने भारत पर 25% अतिरिक्त शुल्क लगाया, जिससे कुल शुल्क 50% हो गया। भारत ने इसे 'अनावश्यक और अन्यायपूर्ण' करार दिया है।
ट्रंप का डर इस बात से जुड़ा है कि अगर वह चीन पर भारी शुल्क लगाते हैं, तो चीन दुर्लभ खनिजों की आपूर्ति पर प्रतिबंध लगा सकता है। अमेरिका इस समय इन खनिजों के लिए चीन पर निर्भर है, क्योंकि दुनिया के लगभग 70% दुर्लभ खनिज चीन में पाए जाते हैं। इन खनिजों का उपयोग रक्षा उपकरणों और हाई-टेक उद्योग में होता है।
दुर्लभ खनिज 17 तत्वों का समूह होते हैं, जिनमें लैंथेनाइड श्रृंखला के तत्व शामिल हैं। अमेरिका इस समय चीन के अलावा अन्य देशों से विकल्प खोजने की कोशिश कर रहा है, लेकिन यह एक लंबी प्रक्रिया हो सकती है।
अमेरिका और चीन के बीच व्यापार युद्ध जारी है, और ट्रंप ने कई बार चीन पर टैरिफ बढ़ाए हैं। यदि ट्रंप चीन पर कठोर कदम उठाते हैं, तो यह अमेरिका की तकनीकी और रक्षा क्षमता को प्रभावित कर सकता है। इसलिए, ट्रंप ने चीन के साथ 90 दिन का समय तय किया है ताकि बातचीत के माध्यम से कोई समाधान निकाला जा सके।