अमेरिकी टैरिफ नीति का भारतीय कपड़ा उद्योग पर प्रभाव

टैरिफ का भारत पर प्रभाव
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की नई टैरिफ नीति ने भारतीय अर्थव्यवस्था को गंभीर रूप से प्रभावित किया है। विशेष रूप से कपड़ा उद्योग, जो पहले से ही वैश्विक प्रतिस्पर्धा का सामना कर रहा था, इस नीति के कारण बुरी तरह प्रभावित हुआ है। तमिलनाडु के तिरुपुर जैसे प्रमुख कपड़ा निर्यात केंद्रों में फैक्ट्रियों का काम ठप हो गया है, और करोड़ों रुपये के ऑर्डर या तो रद्द हो रहे हैं या अन्य देशों को स्थानांतरित किए जा रहे हैं।
कपड़ा निर्यात में गिरावट
भारत का कपड़ा उद्योग हर साल अमेरिका को अरबों रुपये का निर्यात करता है। 2023-24 में, भारत ने अमेरिका को लगभग 10 अरब डॉलर (करीब 85,600 करोड़ रुपये) का कपड़ा निर्यात किया। लेकिन ट्रंप प्रशासन द्वारा लगाए गए 50% टैरिफ ने इस उद्योग को संकट में डाल दिया है। कारोबारियों का कहना है कि अमेरिकी आयातकों ने कई ऑर्डर रद्द कर दिए हैं, जिसके कारण फैक्ट्रियों में उत्पादन या तो बंद हो गया है या बहुत कम हो गया है।
ऑर्डर का स्थानांतरण
ट्रंप के टैरिफ के बाद भारतीय कपड़ा निर्यातकों के लिए सबसे बड़ी चुनौती यह है कि उनके ऑर्डर अब बांग्लादेश, वियतनाम, पाकिस्तान और कंबोडिया जैसे देशों को जा रहे हैं। इन देशों पर अमेरिका ने 19% से 36% के बीच टैरिफ लगाया है, जो भारत के 50% टैरिफ की तुलना में काफी कम है।
तिरुपुर में रोजगार संकट
तिरुपुर का कपड़ा उद्योग भारत के कुल कपड़ा निर्यात का लगभग 30% हिस्सा है, जिसमें अमेरिका को सालाना करीब 12,000 करोड़ रुपये का निर्यात होता है। तिरुपुर निर्यातक संघ के अध्यक्ष के.एम. सुब्रमण्यन के अनुसार, इस 12,000 करोड़ रुपये के कारोबार में से आधा यानी 6,000 करोड़ रुपये का हिस्सा टैरिफ के दायरे में आ गया है। इस कारण कई फैक्ट्रियों ने उत्पादन रोक दिया है, जिससे लाखों मजदूरों और कर्मचारियों के रोजगार पर खतरा मंडरा रहा है।