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अमेरिकी राष्ट्रपति का नया बिल: आर्थिक बदलाव और प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति का नया बिल, 'बिग एंड ब्यूटीफुल', संसद से पारित हो गया है और 4 जुलाई को कानून बन जाएगा। इसमें 4.5 ट्रिलियन डॉलर के टैक्स कट और 1.2 ट्रिलियन डॉलर की खर्च कटौती शामिल हैं। यह बिल भारत में एनआरआई द्वारा भेजे गए धन पर भी प्रभाव डालेगा। जानें इस बिल की विशेषताएँ और इसके संभावित प्रभाव।
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अमेरिकी राष्ट्रपति का नया बिल: आर्थिक बदलाव और प्रभाव

अमेरिकी राष्ट्रपति की बड़ी जीत

अमेरिकी राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय राजनीति में एक महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की है। उनका सपना साकार होते हुए, उनका बिल अमेरिकी संसद के दोनों सदनों से पारित हो गया है और 4 जुलाई को ट्रंप के हस्ताक्षर के साथ यह कानून बन जाएगा। इसका भारत पर भी गहरा प्रभाव पड़ेगा, खासकर एनआरआई द्वारा भारत में भेजे गए धन और निवेश पर। प्रवासन भी इस बिल का एक महत्वपूर्ण पहलू है। ट्रंप ने इसे 'बिग एंड ब्यूटीफुल' नाम दिया है, जिसमें 4.5 ट्रिलियन डॉलर के टैक्स कट और 1.2 ट्रिलियन डॉलर की खर्च कटौती शामिल है, जिसमें मेडकिड और फूड स्टांप पर सख्त कार्य नियम लागू किए गए हैं। इससे अनुमानित 1 करोड़ से अधिक अमेरिकियों का बीमा समाप्त हो सकता है। टेस्ला के मालिक इलॉन मस्क इस बिल का खुलकर विरोध कर रहे हैं। आइए जानते हैं इस बिल की विशेषताएँ।


बिग एंड ब्यूटीफुल बिल की विशेषताएँ

क्या है बिग एंड ब्यूटीफुल बिल

यह बिल अमेरिका के 2017 के टैक्स कट को स्थायी बनाने का प्रयास है। इसमें सीमा सुरक्षा, खर्च और टैक्स से संबंधित कई पहलुओं को शामिल किया गया है। अमेरिका में रह रहे विदेशी नागरिकों द्वारा अपने घर पैसे भेजने पर 5 प्रतिशत टैक्स लगाने की आलोचना भी हो रही है। इसमें नवीकरणीय ऊर्जा के लिए सब्सिडी समाप्त करने का प्रस्ताव है। ट्रंप का यह विधेयक बाइडेन प्रशासन के उस आदेश को समाप्त करेगा, जिसके तहत 2032 तक नई कारों की बिक्री में दो-तिहाई इलेक्ट्रिक वाहन होने थे। विधेयक में तेल, गैस और कोयला निकालने वाली कंपनियों के लिए रॉयल्टी दरों में कटौती का भी प्रस्ताव है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का नया बजट बिल सीनेट में पास हो गया है। वोटिंग में 50-50 की बराबरी के बाद उपराष्ट्रपति जेडी वेंस ने निर्णायक वोट देकर इसे पारित किया। यह बिल गरीबों की मदद करने वाले कई कार्यक्रमों में कटौती करता है, लेकिन टैक्स में छूट और सेना तथा सीमा सुरक्षा पर भारी खर्च की अनुमति देता है। 


घर पर पैसे भेजने पर शुल्क

घर पर पैसे भेजने पर शुल्क

अमेरिका से विदेशों में भेजे जाने वाले धन पर प्रस्तावित 5 प्रतिशत कर को अंतिम मसौदे में घटाकर 1 प्रतिशत कर दिया गया है, जिसे अब पारित कर दिया गया है। अमेरिका में लगभग 4.5 मिलियन भारतीय नागरिक या भारतीय मूल के लोग हैं, जिनमें से कई भारत में अपने परिवारों के लिए अच्छी कमाई कर रहे हैं। गार्डियंस रियल एस्टेट एडवाइजरी के सह-संस्थापक राम नाइक ने बताया कि अमेरिकी बैंक और कार्ड-आधारित धन-प्रेषण छूट में हैं, लेकिन उच्च-मूल्य या आवर्ती हस्तांतरण करने वाले एनआरआई को अपनी वित्तीय योजनाओं पर पुनर्विचार करने की आवश्यकता हो सकती है। यह 1 जनवरी, 2026 से लागू होगा। 


विदेशी आय पर कर

विदेशी आय पर कर

यह विधेयक कई पहलुओं से संबंधित है, जिनमें से कुछ के कारण ट्रंप और उनके पूर्व मित्र एलन मस्क के बीच विवाद भी हुए हैं। अमेरिकी निवासियों द्वारा अर्जित विदेशी स्रोत से प्राप्त किराये की आय पर मौजूदा नियमों में कोई बदलाव नहीं किया गया है, जिसमें ग्रीन कार्ड या अमेरिकी नागरिकता रखने वाले एनआरआई भी शामिल हैं। ध्रुव एडवाइजर्स के पार्टनर संदीप भल्ला के अनुसार, "इस तरह की आय पर मौजूदा कानून के तहत कर लगाया जाता रहेगा।" इसका मतलब है कि भारत में चुकाए गए कर को पहले की तरह अमेरिका में टैक्स क्रेडिट के रूप में दावा किया जा सकता है, ताकि उसी आय पर दोहरे कराधान से बचा जा सके।