अम्बाला में बाढ़ से तबाही: प्रशासन की कोशिशें और किसानों की समस्याएं

अम्बाला में बाढ़ का कहर
अम्बाला में हालिया भारी बारिश और टांगरी, घग्गर, मारकंडा, बेगना और रुण नदियों में आई बाढ़ ने जनजीवन को बुरी तरह प्रभावित किया है। यमुना के किनारे स्थित गांवों, खेतों, औद्योगिक क्षेत्रों और हाईवे पर पानी ने व्यापक नुकसान पहुंचाया है। टांगरी और घग्गर नदियों के कारण 26 से अधिक कॉलोनियां जलमग्न हो गईं। प्रशासन के दावों की वास्तविकता से दूर, पिछले पांच दिनों से लोग सामाजिक और धार्मिक संगठनों की मदद पर निर्भर हैं। रविवार को मुख्यमंत्री नायब सैनी ने नग्गल क्षेत्र का दौरा किया और किसानों को हर संभव सहायता का आश्वासन दिया।
जलस्तर में वृद्धि
बुधवार रात को टांगरी नदी का जलस्तर 15,000 क्यूसेक के खतरे के निशान को पार कर 43,000 क्यूसेक तक पहुंच गया। मुलाना में मारकंडा नदी ने 51,000 क्यूसेक के खतरे के निशान को पार करते हुए 52,000 क्यूसेक तक पहुंच गई। गुरुवार सुबह घग्गर नदी का जलस्तर 20,000 क्यूसेक के खतरे के निशान को पार कर 26,000 क्यूसेक तक पहुंच गया। मंगलवार रात और बुधवार को हुई 106 मिमी बारिश ने पूरे जिले को जलमग्न कर दिया। रविवार तक बारिश का पानी निकल गया, लेकिन नदियों का पानी अब भी खेतों और कॉलोनियों में भरा हुआ है।
बाढ़ के प्रमुख कारण
अम्बाला में बाढ़ के मुख्य कारणों में पक्के तटबंधों की कमी और नदियों पर अवैध कब्जे शामिल हैं। उद्यमी रामचंद्र ने बताया कि बब्याल-चंदपुरा रोड पर पक्के तटबंध का निर्माण योजना में था, लेकिन प्रभावशाली नेताओं और भूमि अधिग्रहण की समस्याओं के कारण यह योजना केवल कागजों तक सीमित रह गई। टांगरी ब्रिज के पास अवैध कब्जों ने नदी की चौड़ाई को कम कर दिया, जिससे पानी रामपुर और सरसेहड़ी में भर जाता है। औद्योगिक क्षेत्र में IIT रुड़की का 15 करोड़ का प्रोजेक्ट भी रुका हुआ है, जिससे लगभग 1,000 करोड़ का नुकसान हुआ है। शाहपुर में कच्चा तटबंध टूटने से 1,000 एकड़ फसल डूब गई।
प्रशासन की पहल
मुख्यमंत्री नायब सैनी ने डीसी अजय तोमर को जलभराव की समस्याओं को हल करने और ड्रेनेज निर्माण की योजना बनाने का निर्देश दिया है। स्थानीय निवासियों और किसान नेताओं ने तटबंधों को मजबूत करने और अवैध कब्जों पर कार्रवाई करने की मांग की है। किसान नेता गुरमीत सिंह और अश्विंदर बोपाराय ने बताया कि शाहपुर में रिंग रोड का पुल छोटा होने के कारण पानी खेतों में ठहर जाता है। प्रशासन अब स्थायी समाधान की दिशा में काम कर रहा है।