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अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे

दिल्ली में हुए बम विस्फोट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 12 से अधिक स्टाफ सदस्यों से पूछताछ में विरोधाभास पाए गए हैं, और कई डॉक्टर धमाके के दिन गायब हो गए। इसके अलावा, संदिग्धों के सोशल मीडिया अकाउंट भी डिएक्टिवेट कर दिए गए हैं। जांच में यह भी सामने आया है कि लैब से कैमिकल चोरी की गई थी। एनआईए इस मामले में गहन पूछताछ कर रही है।
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अल-फलाह यूनिवर्सिटी में जांच के दौरान चौंकाने वाले खुलासे

फरीदाबाद में अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच

फरीदाबाद: दिल्ली में हुए बम विस्फोट के बाद अल-फलाह यूनिवर्सिटी की जांच में कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। 12 से अधिक स्टाफ सदस्यों से पूछताछ के दौरान कई बयानों में बड़े विरोधाभास पाए गए हैं। जानकारी के अनुसार, धमाके के दिन कई डॉक्टर अचानक गायब हो गए, और 10 नवंबर की रात से कई फैकल्टी संदिग्ध परिस्थितियों में अंडरग्राउंड हो गईं।


जांच एजेंसियों को यह भी पता चला है कि कई संदिग्धों के सोशल मीडिया अकाउंट—फेसबुक, इंस्टाग्राम और एक्स—अचानक बंद कर दिए गए। कई के मोबाइल फोन भी स्विच ऑफ मिले, जिससे आतंकी साजिश में अन्य लोगों की संलिप्तता पर संदेह और गहरा गया है। बताया जा रहा है कि धमाके के बाद कई डॉक्टर और स्टाफ बिना किसी सूचना के यूनिवर्सिटी छोड़कर चले गए। कुछ के बैंक खातों में 2 लाख रुपये से अधिक की राशि पाई गई, जिन्हें फिलहाल फ्रीज कर दिया गया है। फंड ट्रेल, कॉल डिटेल और चैट हिस्ट्री की जांच तेज कर दी गई है।


लैब से कैमिकल चोरी का मामला
जांच में यह भी सामने आया है कि आरोपी डॉक्टर—मुजम्मिल, उमर और शाइन—छात्रों के प्रोजेक्ट और मेडिकल पढ़ाई के नाम पर लैब से कैमिकल चुपचाप निकालते थे। यूनिवर्सिटी की लैब की जांच में पता चला कि कई ग्लासवेयर, कैमिकल टेस्टिंग किट, अमोनियम नाइट्रेट सहित कई सामग्री रिकॉर्ड से मेल नहीं खा रही हैं। कई कैमिकल किट और अन्य लैब सामग्री बिना किसी एंट्री के गायब पाई गई। आरोपियों ने इन्हें छोटे-छोटे हिस्सों में अपने बैग और वाहनों की डिग्गी में रखकर कैंपस से बाहर ले जाया। अमोनियम नाइट्रेट की टेस्टिंग में इस्तेमाल होने वाले विभिन्न कैमिकल भी गायब पाए गए।


एनआईए की गहन पूछताछ
एनआईए गिरफ्तार आतंकियों से यह पता लगाने में जुटी है कि लैब से कौन सा कैमिकल कब निकाला गया, इसका उपयोग कहां होता था और इस प्रक्रिया में निर्देश किसके थे। एजेंसी यह भी जांच कर रही है कि क्या विदेशी हैंडलर्स कैमिकल्स की मात्रा और बम बनाने की तकनीक के बारे में जानकारी देते थे।