अलवर फल मंडी में खाद्य सुरक्षा की अनियमितताएँ उजागर

अलवर फल मंडी में छापेमारी का खुलासा
अलवर फल मंडी मामला: राजस्थान के अलवर जिले की एक प्रमुख फल मंडी में खाद्य सुरक्षा विभाग द्वारा की गई छापेमारी ने कई चौंकाने वाले तथ्य सामने लाए हैं। यहां के अधिकांश थोक फल विक्रेताओं के पास खाद्य सुरक्षा और मानक प्राधिकरण (FSSAI) का लाइसेंस नहीं था। फल व्यापारियों को अब अनिवार्य रूप से यह लाइसेंस प्राप्त करने के निर्देश दिए गए हैं।
फलों पर मोम की कोटिंग का मामला
अलवर के अलावा, अजमेर की मंडियों में भी जांच में यह पाया गया कि सेब और आम जैसे फलों पर चमक लाने के लिए मोम की कोटिंग की जा रही है। खाद्य सुरक्षा अधिकारी दीपक कुमार ने बताया, “अधिकांश व्यापारियों के फलों, विशेषकर आम और सेब पर स्टिकर लगे हुए मिले, जो गोंद से चिपकाए जाते हैं। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है।”
खतरनाक रसायनों का उपयोग
कैमिकल से पकाए जा रहे फल, खतरे की घंटी
अधिकारियों ने बताया कि फलों को पकाने के लिए एथिलीन गैस का उपयोग किया जा रहा है, जो FSSAI द्वारा अनुमत है। लेकिन यदि इससे अधिक खतरनाक रसायनों का प्रयोग किया गया, तो यह अपराध की श्रेणी में आएगा। जिला खाद्य सुरक्षा अधिकारी केसरी नंदन शर्मा ने कहा, “अगर किसी घातक रसायन से फल पकाए जाते हैं, तो यह कानूनन अपराध है और स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक भी।”
कोल्ड स्टोरेज की स्थिति
थोक व्यापारियों के पास कोल्ड स्टोरेज और चैंबर
अजमेर की बीवर रोड स्थित मुख्य मंडी में 80 से अधिक थोक फल और सब्जी दुकानदार हैं। इनमें से कई के पास अपने कोल्ड स्टोरेज और फल पकाने के चैंबर हैं, जहां फलों को एथिलीन से पकाया जाता है। व्यापारियों का कहना है कि मोम की कोटिंग और स्टिकर वाले फल उन्हें बाहर से मिलते हैं — खासकर नासिक, पुणे, दिल्ली, गुजरात, जम्मू-कश्मीर और हिमाचल से।
विदेशी फलों पर निगरानी
विदेशी फलों पर विशेष निगरानी
शिकायतें मिली हैं कि विदेशी फलों — जैसे चेरी, कीवी, एवोकाडो, प्लम, एप्रिकॉट, रेड एप्पल आदि — पर ताजगी बनाए रखने के लिए मोम की परत चढ़ाई जाती है। हालांकि अभी तक मंडी में विदेशी फल नहीं पाए गए हैं, लेकिन जांच के लिए इनके नमूने भी लिए जा रहे हैं।