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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक: भारत के लिए क्या हैं संभावनाएं?

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। भारत इस वार्ता के परिणामों को लेकर चिंतित है, क्योंकि इससे उसकी अर्थव्यवस्था और विदेश व्यापार नीति पर प्रभाव पड़ सकता है। बैठक के दौरान टैरिफ में राहत की संभावनाएं और वैश्विक स्थिरता पर इसके प्रभाव पर चर्चा की जाएगी। जानें इस महत्वपूर्ण बैठक के बारे में और क्या उम्मीदें हैं भारत को।
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अलास्का में ट्रंप-पुतिन की बैठक: भारत के लिए क्या हैं संभावनाएं?

अलास्का में ट्रंप और पुतिन की महत्वपूर्ण बैठक

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच अलास्का में होने वाली बैठक पर पूरी दुनिया की नजरें हैं। वॉशिंगटन से लेकर मॉस्को, यूरोप और यूक्रेन तक, सभी इस वार्ता के परिणामों को लेकर चिंतित हैं। भारत भी इस चर्चा में गहरी रुचि रखता है, क्योंकि इसके परिणाम सीधे तौर पर भारतीय अर्थव्यवस्था और विदेश व्यापार नीति को प्रभावित कर सकते हैं.


भारत की उम्मीदें इस बैठक से

इस बैठक के परिणाम यह तय करेंगे कि क्या भारत को अमेरिकी टैरिफ में कुछ राहत मिलेगी, खासकर रूस से तेल आयात के संदर्भ में। ट्रंप प्रशासन द्वारा भारत पर लगाया गया 50% टैरिफ पहले ही कई उत्पादों पर प्रभाव डाल चुका है। इनमें से 25% शुल्क इस कारण लगाया गया था कि भारत रूस से तेल खरीद रहा है, जिससे अमेरिका को लगता है कि रूस को यूक्रेन युद्ध के लिए आर्थिक सहायता मिल रही है.


ट्रंप के बयानों में भारत के लिए संकेत

हाल ही में ट्रंप ने कहा कि भारत ने टैरिफ बढ़ने के बाद रूस से तेल खरीद में कमी की है, जिससे रूस पर दबाव बना है और वह बातचीत के लिए तैयार हुआ है। ट्रंप का यह बयान अमेरिका की रणनीति को दर्शाता है, जिसमें वह भारत पर आर्थिक दबाव डालकर रूस को नियंत्रित करना चाहता है। यदि अमेरिका और रूस की वार्ता सफल नहीं होती है, तो भारत को और अधिक कड़े टैरिफ का सामना करना पड़ सकता है.


मोदी के आत्मनिर्भर भारत के संदर्भ में बैठक

यह बैठक भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस के भाषण के कुछ घंटों बाद हो रही है, जिसमें उन्होंने 'हाई क्वॉलिटी प्रोडक्शन' और आत्मनिर्भर भारत पर जोर दिया। लेकिन अमेरिकी टैरिफ के कारण भारतीय निर्यात और घरेलू उत्पादन दोनों प्रभावित हो रहे हैं, जिससे मोदी सरकार के 'मेक इन इंडिया' कार्यक्रम को चुनौती मिल रही है.


भारतीय विदेश मंत्रालय की प्रतिक्रिया

भारत के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आश्वासन दिया है कि भारत और अमेरिका के रक्षा संबंध सही दिशा में हैं। उन्होंने यह भी बताया कि अगस्त के मध्य में अमेरिकी रक्षा नीति से संबंधित एक प्रतिनिधिमंडल भारत का दौरा करेगा। यह संकेत करता है कि भारत बैक चैनल डिप्लोमेसी के माध्यम से तनाव कम करने का प्रयास कर रहा है.


वैश्विक नजरें और संभावित भू-राजनीतिक प्रभाव

इस बैठक के प्रभाव केवल भारत और अमेरिका तक सीमित नहीं रहेंगे। यदि रूस को यूक्रेन के कुछ हिस्सों पर नियंत्रण की अनुमति मिलती है, तो यह पूर्वी यूरोप और नाटो देशों के लिए भी खतरा बन सकता है। पोलैंड, एस्टोनिया, लातविया और लिथुआनिया जैसी देशों की सुरक्षा भी दांव पर लग सकती है। इसलिए यह वार्ता व्यापार या तेल तक सीमित नहीं है, बल्कि वैश्विक स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण साबित हो सकती है.