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अलास्का में ट्रम्प और पुतिन की वार्ता: यूक्रेन संकट पर नई उम्मीदें

अलास्का में अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई वार्ता को 'उत्पादक' बताया गया है। दोनों नेताओं ने यूक्रेन संकट पर चर्चा की और इसे 'रचनात्मक' माहौल में आयोजित किया गया। पुतिन ने कहा कि इस वार्ता में एक 'समझ' बनी है, जबकि ट्रम्प ने यूक्रेनी राष्ट्रपति और नाटो सहयोगियों को सूचित करने की योजना बनाई है। इस बैठक से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर नई उम्मीदें जगी हैं। क्या यह वार्ता यूक्रेन में शांति लाने में सफल होगी? जानें पूरी जानकारी में।
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अलास्का में ट्रम्प और पुतिन की वार्ता: यूक्रेन संकट पर नई उम्मीदें

ट्रम्प और पुतिन की 'उत्पादक' वार्ता

अलास्का में शुक्रवार को अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प और उनके रूसी समकक्ष व्लादिमीर पुतिन के बीच हुई उच्च-स्तरीय वार्ता को दोनों नेताओं ने 'उत्पादक' बताया। एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस में, उन्होंने बातचीत को "रचनात्मक और पारस्परिक रूप से सम्मानजनक" माहौल में होने का दावा किया और इसे "गहन और उपयोगी" करार दिया। इस बैठक से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन संकट के समाधान की उम्मीदें बढ़ी हैं।


पुतिन ने प्रेस कॉन्फ्रेंस के दौरान कहा कि यूक्रेन के मुद्दे पर ट्रम्प के साथ एक 'समझ' बनी है और यूरोप को चेतावनी दी कि वह "नवजात प्रगति को बाधित न करे।" उन्होंने पूर्व राष्ट्रपति जो बाइडेन पर अप्रत्यक्ष तंज करते हुए कहा कि यदि ट्रम्प 2022 में व्हाइट हाउस में होते, तो यूक्रेन युद्ध की स्थिति उत्पन्न नहीं होती।


पुतिन ने यह भी कहा कि यूक्रेन की आंतरिक स्थिति रूस के लिए एक 'मौलिक खतरा' है और संघर्ष के मूल कारणों को समाप्त करने की आवश्यकता है। उन्होंने यह स्वीकार किया कि दुनिया को यूक्रेन की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है, जो रूस के लिए स्वागत योग्य होगा।


ट्रम्प ने कहा कि वह जल्द ही यूक्रेनी राष्ट्रपति वोलोडिमिर ज़ेलेंस्की और नाटो के सहयोगियों को फोन करेंगे। उन्होंने स्पष्ट किया कि दोनों पक्षों ने यूक्रेन पर कोई अंतिम समझौता नहीं किया है, लेकिन इस दिशा में "काफी प्रगति" हुई है।


यह बैठक हाल के वर्षों में दोनों नेताओं के बीच सबसे महत्वपूर्ण मानी जा रही है, जिसमें यूक्रेन के भविष्य, परमाणु हथियारों के नियंत्रण और साइबर सुरक्षा जैसे मुद्दों पर चर्चा हुई। हालांकि कोई बड़ी घोषणा नहीं की गई, लेकिन दोनों नेताओं ने सीधी बातचीत के महत्व पर जोर दिया।