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अल्जाइमर की रोकथाम में समय पर इलाज का महत्व: डॉ. रोहित गुप्ता

ग्रेटर फरीदाबाद में आयोजित एक जागरूकता कार्यक्रम में डॉ. रोहित गुप्ता ने अल्जाइमर रोग की रोकथाम के लिए समय पर पहचान और इलाज के महत्व पर जोर दिया। उन्होंने बताया कि तनाव और बदलती जीवनशैली के कारण अब यह बीमारी युवाओं में भी बढ़ रही है। कार्यक्रम में विशेषज्ञों ने संतुलित आहार और नियमित व्यायाम के महत्व पर भी चर्चा की। जानें अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षण और उनसे बचाव के उपाय।
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अल्जाइमर की रोकथाम में समय पर इलाज का महत्व: डॉ. रोहित गुप्ता

अल्जाइमर पर जागरूकता कार्यक्रम


ग्रेटर फरीदाबाद। विश्व अल्जाइमर दिवस के अवसर पर एक जागरूकता कार्यक्रम का आयोजन एकॉर्ड अस्पताल में किया गया। इस कार्यक्रम में न्यूरोलॉजी विभाग के प्रमुख डॉ. रोहित गुप्ता ने बताया कि समय पर पहचान और उपचार से अल्जाइमर जैसी गंभीर बीमारियों को काफी हद तक नियंत्रित किया जा सकता है। उन्होंने बताया कि अस्पताल में हर महीने 8 से 10 नए मरीज अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षणों के साथ आते हैं, जैसे कि याददाश्त में कमी, बार-बार एक ही बात दोहराना, चीजें भूल जाना और व्यवहार में बदलाव।


बदलती जीवनशैली के कारण बढ़ते मामले

डॉ. गुप्ता ने बताया कि पहले यह बीमारी केवल बुजुर्गों में देखी जाती थी, लेकिन अब तनाव, अनियमित दिनचर्या और बदलती जीवनशैली के कारण युवाओं में भी इसके मामले बढ़ रहे हैं। उन्होंने कहा कि अल्जाइमर के प्रारंभिक लक्षणों को अक्सर लोग नजरअंदाज कर देते हैं, जिससे बीमारी बढ़ती जाती है और मरीज दूसरों पर निर्भर हो जाता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. संदीप घोष ने बताया कि जागरूकता की कमी इस बीमारी के तेजी से फैलने का एक बड़ा कारण है।


सही समय पर डॉक्टर से परामर्श

समय पर डॉक्टर से परामर्श लेने और नियमित जांच कराने से मरीज की जीवन गुणवत्ता में सुधार हो सकता है। न्यूरोलॉजिस्ट डॉ. मेघा शारदा ने सुझाव दिया कि यदि परिवार के किसी सदस्य में भूलने की समस्या लगातार दिखाई दे, तो तुरंत न्यूरोलॉजिस्ट से संपर्क करें। कार्यक्रम में उपस्थित विशेषज्ञों ने बताया कि संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, मानसिक सक्रियता और सकारात्मक जीवनशैली अपनाकर इस बीमारी से काफी हद तक बचाव किया जा सकता है।


अल्जाइमर और डिमेंशिया के लक्षण


  • बार-बार एक ही सवाल पूछना या बातें दोहराना।

  • हाल की घटनाओं या नाम याद न रखना।

  • सामान रखकर भूल जाना।

  • निर्णय लेने और दैनिक काम करने में कठिनाई।

  • स्वभाव और व्यवहार में अचानक बदलाव, चिड़चिड़ापन या अवसाद।

  • समय, स्थान और लोगों की पहचान में भ्रम।