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अशोक स्तंभ तोड़ने की घटना: राष्ट्रीय प्रतीकों का महत्व और कानूनी पहलू

श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ को तोड़ने की घटना ने एक नया विवाद खड़ा कर दिया है। इस घटना ने राष्ट्रीय प्रतीकों के उपयोग और उनके कानूनी पहलुओं पर सवाल उठाए हैं। राजनीतिक दलों ने इस पर अपनी प्रतिक्रियाएँ दी हैं, जबकि कानून के जानकारों ने अशोक स्तंभ के अनधिकृत उपयोग के खिलाफ सख्त सजा का प्रावधान बताया है। जानें इस घटना के पीछे के कारण और राष्ट्रीय प्रतीकों का महत्व क्या है।
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अशोक स्तंभ तोड़ने की घटना: राष्ट्रीय प्रतीकों का महत्व और कानूनी पहलू

राष्ट्र प्रतीकों का महत्व

राष्ट्र प्रतीक किसी देश के इतिहास, पौराणिक कथाओं और आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़े होते हैं, जो अतीत से वर्तमान तक उनके रहस्यों और गहराइयों को दर्शाते हैं। अशोक चिह्न भारत का राजकीय प्रतीक है, जो प्राचीन गौरवमयी इतिहास से जुड़ा हुआ है। इसे सारनाथ में स्थित राष्ट्रीय स्तंभ से लिया गया है।


श्रीनगर में विवाद

जम्मू-कश्मीर के श्रीनगर में हजरतबल दरगाह में अशोक स्तंभ को तोड़ने की घटना ने नया विवाद खड़ा कर दिया है। दरगाह के सौंदर्यीकरण के लिए किए गए रेनोवेशन के बाद वहां एक बोर्ड पर राष्ट्रीय प्रतीक अशोक स्तंभ उकेरा गया था। कुछ लोगों ने इस्लामिक मान्यताओं का हवाला देते हुए इसका विरोध किया और इसे पत्थरों से तोड़ दिया। पुलिस ने इस मामले में विभिन्न धाराओं के तहत केस दर्ज किया है।


राजनीतिक प्रतिक्रियाएँ

इस घटना ने राजनीतिक हलचल पैदा कर दी है और यह सवाल उठाया है कि क्या धार्मिक स्थलों पर राष्ट्रीय प्रतीकों का उपयोग किया जाना चाहिए। भारतीय जनता पार्टी ने इसे राष्ट्रीय प्रतीकों का अपमान बताते हुए दोषियों को सख्त सजा देने की मांग की है। वहीं, उमर अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती ने सवाल उठाया है कि धार्मिक स्थल पर राष्ट्रीय प्रतीक का उपयोग क्यों किया गया।


कानूनी पहलू

कानून के जानकारों का कहना है कि द स्टेट एम्बलेम ऑफ इंडिया (प्रोहिबिशन ऑफ इम्प्रॉपर यूज) एक्ट 2005 के अनुसार, अशोक स्तंभ का उपयोग केवल भारतीय सरकार, राज्य सरकार और अधिकृत संस्थाओं द्वारा किया जा सकता है। अनधिकृत उपयोग को कानूनन अपराध माना जाता है। अशोक स्तंभ के गैरकानूनी उपयोग पर दो वर्ष तक की सजा और 5,000 रुपये तक का जुर्माना हो सकता है।


राष्ट्रीय प्रतीकों की सुरक्षा

राष्ट्रीय प्रतीकों की सुरक्षा और सम्मान के लिए विशेष कानून बनाए गए हैं। राष्ट्रीय सम्मान अपमान निवारण अधिनियम 1971 और राष्ट्रीय प्रतीक (अनुचित उपयोग पर रोक) अधिनियम, 2005 दोनों ही ऐसे मामलों में लागू होते हैं।


अशोक स्तंभ का ऐतिहासिक महत्व

अशोक स्तंभ का महत्व केवल एक प्रतीक के रूप में नहीं है, बल्कि यह भारतीय संस्कृति, इतिहास और मूल्यों का प्रतिनिधित्व करता है। यह न केवल नागरिकों में राष्ट्रीय गौरव की भावना जगाता है, बल्कि एकता के सूत्र में भी पिरोता है।