अहमदाबाद में अनोखा मामला: बच्चे के पेट में फंसे बालों का गुच्छा
अहमदाबाद में एक सात वर्षीय बच्चे के पेट में बालों का गुच्छा फंसा हुआ पाया गया, जिससे उसकी स्वास्थ्य स्थिति गंभीर हो गई थी। डॉक्टरों ने बताया कि यह ट्राइकोबेजोअर नामक दुर्लभ स्थिति का परिणाम है, जिसमें बच्चे ने बालों को निगल लिया था। इस मामले ने यह दर्शाया है कि बच्चों की असामान्य आदतों पर ध्यान देना कितना महत्वपूर्ण है। सर्जरी के बाद, मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देने की आवश्यकता भी है। जानें इस स्थिति के बारे में और इसके स्वास्थ्य पर प्रभाव के बारे में।
Oct 1, 2025, 12:55 IST
| 
अहमदाबाद में जटिल चिकित्सा मामला
अहमदाबाद से एक अजीबोगरीब चिकित्सा मामला सामने आया है। चिकित्सकों ने बताया कि बच्चों की असामान्य आदतों पर ध्यान देना अत्यंत आवश्यक है। मध्य प्रदेश के रतलम का एक सात वर्षीय बच्चा पिछले दो महीनों से पेट दर्द, बार-बार उल्टी और वजन में कमी से परेशान था। दवा लेने के बावजूद उसे राहत नहीं मिली। जब यह बच्चा अहमदाबाद के अस्पताल पहुंचा, तो सभी हैरान रह गए। सीटी स्कैन और एंडोस्कोपी की रिपोर्ट देखकर डॉक्टर भी चौंक गए। पेट के अंदर एक बड़ा गुच्छा बालों का और एक जूते का फीता फंसा हुआ था। यह मामला सामान्य नहीं था। बाल पेट में जाकर 'ट्राइकोबेजोअर' नामक गांठ का रूप ले चुके थे। बच्चों में बाल या अन्य असामान्य चीजें खाने की आदत को कभी नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
ट्राइकोबेजोअर क्या है?
ट्राइकोबेजोअर एक दुर्लभ चिकित्सा स्थिति है।
इस स्थिति में बच्चा या व्यक्ति बालों को चबाकर निगल लेता है। पेट बालों को पचा नहीं पाता, जिससे पेट में बालों का गुच्छा या गेंद बन जाती है। इसे हेयरबॉल समस्या भी कहा जाता है। यह समस्या अक्सर उन लोगों में देखी जाती है, जो तनाव के कारण बाल खाने की आदत (ट्राइकोफेज़िया) विकसित कर लेते हैं। यदि इस समस्या पर ध्यान नहीं दिया गया, तो यह बड़ी गांठ में बदल सकती है, जिससे पेट दर्द, मतली, उल्टी, कब्ज, वजन घटना और आंत रुकने जैसी समस्याएं उत्पन्न हो सकती हैं।
शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य का ध्यान
शरीर के इलाज के बाद मानसिक स्वास्थ्य पर ध्यान देना भी आवश्यक है।
हालांकि बच्चे की सर्जरी के माध्यम से इस समस्या का समाधान किया गया, लेकिन यदि व्यक्ति बार-बार असामान्य वस्तुएं निगलने की आदत में पड़ता है, तो यह समस्या फिर से हो सकती है। इसलिए बच्चे की सही तरीके से काउंसलिंग करना जरूरी है। मनोवैज्ञानिक परामर्श लेना भी फायदेमंद हो सकता है। ये आदतें खतरनाक हो सकती हैं और स्वास्थ्य को गंभीर नुकसान पहुंचा सकती हैं। परिवार को भी सलाह दी जाती है कि वे बच्चों के व्यवहार पर ध्यान दें। बच्चे को प्यार और धैर्य से समझाएं और समय-समय पर उसके भावनात्मक स्वास्थ्य पर ध्यान दें। डॉक्टर ने बताया कि इस तरह के मामलों में हमें सीख मिलती है कि बच्चों या व्यक्तियों की असामान्य आदतों को कभी भी हल्के में नहीं लेना चाहिए।