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अहमदाबाद में अवैध निर्माण पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई

अहमदाबाद में प्रशासन ने अवैध निर्माण के खिलाफ एक सख्त अभियान शुरू किया है, जिसमें नजीर वोरा का सरकारी जमीन पर बना मकान ध्वस्त किया गया। पिछले 10 वर्षों से कब्जा किए गए इस मकान की कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये थी। प्रशासन ने हाल ही में 4000 से अधिक अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया है। चंडोला तालाब क्षेत्र में भी अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई की जा रही है। जानें इस अभियान की पूरी जानकारी।
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अहमदाबाद में अवैध निर्माण पर प्रशासन की सख्त कार्रवाई

सरकारी जमीन पर कब्जा खत्म करने की मुहिम

सोमवार को अहमदाबाद में अवैध निर्माण के खिलाफ प्रशासन ने कड़ी कार्रवाई की। सरखेज क्षेत्र में नजीर वोरा का अवैध मकान, जो सरकारी भूमि पर बना था, को बुलडोजर से ध्वस्त कर दिया गया। यह जानकर आश्चर्य होता है कि नजीर ने पिछले एक दशक से इस भूमि पर कब्जा कर रखा था।


अवैध निर्माण हटाने का अभियान

शहर में अवैध निर्माण और अतिक्रमण को समाप्त करने के लिए प्रशासन ने एक व्यापक अभियान शुरू किया है। नजीर वोरा पहले से ही कई आपराधिक मामलों में आरोपी है। बताया गया है कि तोड़े गए अवैध ढांचे की अनुमानित कीमत लगभग 20 करोड़ रुपये थी। इस कार्रवाई के दौरान भारी पुलिस बल भी मौजूद था। गुजरात के अन्य क्षेत्रों में भी इसी तरह की कार्रवाई की जा रही है, जहां बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण को हटाया जा रहा है।


अहमदाबाद में 4000 से अधिक अवैध निर्माण ध्वस्त

हाल ही में, अहमदाबाद में 2.5 लाख वर्ग मीटर से अधिक अतिक्रमण हटाया गया है और 4000 से ज्यादा अवैध निर्माणों को ध्वस्त किया गया है।


अवैध नागरिकों के खिलाफ कार्रवाई

29 और 30 अप्रैल को, प्रशासन ने चंडोला तालाब पर अभियान के पहले चरण में लगभग 3000 अवैध मकानों को ध्वस्त किया, जिनमें से अधिकांश अवैध बांग्लादेशी नागरिकों के थे। दूसरे चरण में भी प्रशासन ढाई हजार से अधिक अवैध निर्माणों को निशाना बना रहा है। हाल के हफ्तों में, गुजरात पुलिस ने हजारों अवैध बांग्लादेशी नागरिकों को हिरासत में लिया है, जिनमें से कई अहमदाबाद में रह रहे थे।


1970-80 के दशक से अवैध कब्जों का इतिहास

चंडोला तालाब का क्षेत्र लंबे समय से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों का केंद्र बना हुआ था, जहां मानव तस्करी और जाली दस्तावेजों का कारोबार चल रहा था। इस क्षेत्र में अवैध कब्जों की शुरुआत 1970-80 के दशक में हुई, जब यहां बड़ी संख्या में प्रवासी बस्तियां बसाई गईं। 2002 में एक NGO ने इस क्षेत्र में सियासत नगर नाम से बस्ती स्थापित की थी। इसके बाद 2010 से 2024 के बीच चंडोला झील की भूमि पर अवैध कब्जों में तेजी आई। प्रशासन के अनुसार, इस क्षेत्र में बड़े पैमाने पर अवैध निर्माण किए गए, जिनमें कई अवैध बांग्लादेशी नागरिक भी शामिल थे।