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अहमदाबाद विमान दुर्घटना: पहचान के बाद परिजनों का गुस्सा और सवाल

अहमदाबाद में हुए विमान हादसे के बाद डीएनए जांच से नौ शवों की पहचान हो गई है, जिससे परिजनों की पीड़ा और गुस्सा बढ़ गया है। परिवार अब उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं, यह जानने के लिए कि क्या यह हादसा टाला जा सकता था। घटनास्थल पर मौजूद चश्मदीदों के अनुसार, आग की लपटें और धमाका अचानक हुआ। अब परिजन सिर्फ शव नहीं, बल्कि जवाब भी चाहते हैं। क्या सरकार उनकी मांगों पर ध्यान देगी? जानिए पूरी कहानी में।
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अहमदाबाद विमान दुर्घटना: पहचान के बाद परिजनों का गुस्सा और सवाल

राष्ट्रीय समाचार: अहमदाबाद विमान हादसे की भयावह सच्चाई

National News:  अहमदाबाद में हुए विमान हादसे का मलबा अब अपनी सबसे भयानक सच्चाई को उजागर कर रहा है। डीएनए परीक्षण के माध्यम से नौ शवों की पहचान की जा चुकी है, जो जलने के कारण पहचान से बाहर थे। इस पुष्टि ने परिवारों की प्रतीक्षा की घड़ियों को एक कठोर वास्तविकता में बदल दिया है। गुजरात के गृह राज्य मंत्री हर्ष संघवी ने फोरेंसिक लैब के अधिकारियों के साथ बैठक कर प्रक्रिया को तेज करने का निर्देश दिया। जांच दलों ने लगातार 48 घंटे काम कर यह पहचान सुनिश्चित की। राज्य सरकार फोरेंसिक विशेषज्ञों और पुलिस अधिकारियों के साथ मिलकर यह सुनिश्चित कर रही है कि हर मृतक की पहचान पूरी सटीकता से हो। जिन परिवारों ने कई दिनों तक उम्मीदें लगाई रखीं, उनके सामने अब अंतिम सत्य आया है—अपने प्रियजनों की लाशें।


मौन चीत्कार के बीच शवों की सुपुर्दगी

फोरेंसिक लैब के बाहर मातम का माहौल है। एंबुलेंस की कतारें, अंतिम संस्कार की तैयारियां, हाथ में फोटो थामे मां-बाप और हर तरफ बस एक सवाल—‘क्यों?’ किसी ने अंतिम बार उन्हें एयरपोर्ट पर देखा था, अब उनका इंतज़ार एक लकड़ी के बॉक्स में बंद सन्नाटे से टूट रहा है। शवों की सुपुर्दगी पूरी संवेदनशीलता के साथ की जा रही है। पुलिस, काउंसलर और प्रशासन अंतिम यात्रा तक परिजनों के साथ हैं। शवों को धर्म और रीति के अनुसार अंतिम संस्कार के लिए पहुंचाया जा रहा है।


क्या यह हादसा टाला जा सकता था?

जिस क्षेत्र में विमान गिरा, वहां के चश्मदीद अब भी सदमे में हैं। "अचानक आग की लपटें उठीं और फिर जोरदार धमाका हुआ," एक स्थानीय युवक बताता है। घटनास्थल के पास अब भी जले हुए सूटकेस, अधजली टिकटें और तेल की दुर्गंध फैली हुई है। रेस्क्यू टीम ने बताया कि विमान की स्थिति इतनी खराब थी कि वह "मेटल का एक जला हुआ ढेर" बन चुका था। राहतकर्मियों के लिए यह दृश्य सहन करना मुश्किल था। अब उन्हें मानसिक स्वास्थ्य सहायता दी जा रही है, लेकिन जो उन्होंने देखा है, वह कभी नहीं भूलेंगे।


परिजन अब सिर्फ जवाब चाहते हैं, शव नहीं

अब जब शव मिल चुके हैं, तो परिजनों की पीड़ा एक और रूप ले चुकी है—गुस्से का। कई परिवार अब उच्च स्तरीय जांच की मांग कर रहे हैं। सवाल उठ रहे हैं—क्या यह तकनीकी खराबी थी, पायलट की चूक या कुछ और? सरकार ने पारदर्शिता का आश्वासन तो दिया है, लेकिन भरोसा टूट चुका है। अब न्यायिक जांच की मांग हो रही है। विमानन क्षेत्र के विशेषज्ञों और कार्यकर्ताओं ने निजी और चार्टर्ड फ्लाइट्स की सुरक्षा पर फिर से विचार करने की मांग उठाई है।