अहमदाबाद से लंदन जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट का दर्दनाक हादसा: 270 शवों की पहचान में मुश्किलें

बीजे मेडिकल कॉलेज में शोक का माहौल
एयर इंडिया की फ्लाइट AI171, जो अहमदाबाद से लंदन जा रही थी, के हादसे के तीसरे दिन भी बीजे मेडिकल कॉलेज में मातम छाया हुआ है। इस भयानक दुर्घटना में अब तक 270 शवों को बरामद किया जा चुका है, जिनमें से अधिकांश बुरी तरह जल चुके हैं। अपने प्रियजनों को खो चुके परिवार डीएनए रिपोर्ट का इंतजार कर रहे हैं ताकि वे अपने परिजनों की पहचान कर सकें।
शवों की पहचान में आ रही कठिनाई
इस हादसे में केवल एक व्यक्ति ही जीवित बचा है, जबकि बाकी 265 लोग अपनी जान गंवा चुके हैं। मृतकों की पहचान करना बेहद कठिन हो गया है, क्योंकि अधिकांश शवों की स्थिति पहचान के लिए उपयुक्त नहीं है। बीजे मेडिकल कॉलेज में परिजन आभूषण, कपड़े और अन्य संकेतों के आधार पर पहचान की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन अंतिम पुष्टि केवल डीएनए परीक्षण से ही संभव है।
डीएनए रिपोर्ट का इंतजार
अधिकारियों के अनुसार, जैसे ही किसी शव की पहचान डीएनए रिपोर्ट से होगी, परिजनों को तुरंत सूचित किया जाएगा। एक क्रू सदस्य के परिजन ने बताया कि उन्हें बताया गया है कि डीएनए रिपोर्ट के लिए 72 घंटे का इंतजार करना होगा। अब तक केवल 6 शवों की पहचान की गई है और उन्हें परिजनों को सौंपा गया है।
परिजनों की टूट चुकी उम्मीदें
जब इस हादसे की खबर फैली, तो देश-विदेश से परिजन अहमदाबाद की ओर दौड़ पड़े। कुछ को उम्मीद थी कि कोई चमत्कार होगा, लेकिन अब वे दर्दनाक सच्चाई का सामना कर रहे हैं कि शायद उनके प्रिय कभी लौटकर नहीं आएंगे।
सिंगल विंडो सिस्टम की व्यवस्था
सरकार ने परिजनों के लिए एक 'सिंगल विंडो सिस्टम' की व्यवस्था की है, जहां शव की पुष्टि के बाद डेथ सर्टिफिकेट और शव सौंपने की प्रक्रिया पूरी की जाएगी। अधिकारियों का कहना है कि किसी भी औपचारिकता में देरी नहीं की जाएगी।
हादसे का विवरण
यह दुर्घटना गुरुवार दोपहर अहमदाबाद के सरदार वल्लभभाई पटेल अंतरराष्ट्रीय एयरपोर्ट से उड़ान भरने के कुछ ही क्षण बाद हुई, जब बोइंग 787 ड्रीमलाइनर (AI 171) बीजे मेडिकल कॉलेज के हॉस्टल और कैंटीन कॉम्प्लेक्स से टकराकर दुर्घटनाग्रस्त हो गया। विमान में कुल 242 यात्री और क्रू सदस्य सवार थे।
राहत और बचाव कार्य जारी
घटनास्थल पर राहत और बचाव कार्य लगातार चल रहा है। मृतकों के परिजनों को हर संभव सहायता देने का प्रयास किया जा रहा है, लेकिन शारीरिक क्षति के साथ-साथ मानसिक पीड़ा कहीं अधिक गहरी है।