आंध्र प्रदेश में नक्सली दंपति का आत्मसमर्पण, मुख्यधारा में लौटने की इच्छा
आंध्र प्रदेश में एक महत्वपूर्ण घटनाक्रम में, दो नक्सली कमांडरों ने पुलिस महानिदेशक के सामने आत्मसमर्पण किया। कोंडांडा उर्फ किरण और उनकी पत्नी निर्मला उर्फ भारती ने मुख्यधारा में लौटने की इच्छा जताई है। उन्होंने सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाने की इच्छा भी व्यक्त की है। जानें इस आत्मसमर्पण के पीछे की कहानी और आंध्र प्रदेश में नक्सली आंदोलन की स्थिति के बारे में।
Jul 26, 2025, 15:48 IST
| 
नक्सली दंपति का आत्मसमर्पण
आंध्र प्रदेश में एक महत्वपूर्ण घटना में, दो प्रमुख नक्सली कमांडरों ने पुलिस महानिदेशक (DGP) के सामने आत्मसमर्पण किया है। यह दंपति, कोंडांडा उर्फ किरण और उनकी पत्नी निर्मला उर्फ भारती, ने सोमवार को मंगलागिरी में डीजीपी केवी राजेंद्रनाथ रेड्डी के समक्ष आत्मसमर्पण किया। पुलिस अधिकारियों के अनुसार, यह दंपति अपनी बिगड़ती सेहत और नक्सली विचारधारा से मोहभंग के कारण मुख्यधारा में लौटने की इच्छा रखता था। उन्होंने सरकार की पुनर्वास नीति का लाभ उठाने की इच्छा भी जताई।कोंडांडा, जिसे किरण या बलराज के नाम से भी जाना जाता है, भाकपा (माओवादी) उत्तर उप-क्षेत्र समिति का एक प्रमुख सदस्य था, जो 2004 से इस संगठन से जुड़ा हुआ था। पुलिस रिकॉर्ड के अनुसार, वह हत्या, आगजनी और बारूदी सुरंग विस्फोटों जैसे कई गंभीर अपराधों में शामिल रहा है।
उनकी पत्नी, निर्मला उर्फ भारती या सुधा, भाकपा (माओवादी) गुंटूर-प्रकाशम डिवीजनल कमेटी की सदस्य थीं और 2005 में संगठन से जुड़ी थीं। DGP केवी राजेंद्रनाथ रेड्डी ने दंपति के आत्मसमर्पण का स्वागत किया और अन्य नक्सलियों से भी अपील की कि वे हिंसा का रास्ता छोड़कर मुख्यधारा में लौटें। DGP ने बताया कि आंध्र प्रदेश सरकार की एक व्यापक पुनर्वास नीति है, जो आत्मसमर्पण करने वाले नक्सलियों को सामान्य जीवन जीने में मदद करती है। इस नीति के तहत वित्तीय सहायता, जमीन, घर, बच्चों की शिक्षा और व्यावसायिक प्रशिक्षण जैसी सुविधाएं प्रदान की जाती हैं। पुलिस के लगातार दबाव और अभियानों के चलते राज्य में नक्सलियों की संख्या में उल्लेखनीय कमी आई है, और यह आत्मसमर्पण आंध्र प्रदेश में नक्सली आंदोलन के कमजोर पड़ने का एक और संकेत है।