आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने की पहल

प्राकृतिक खेती का महत्व
आंध्र प्रदेश में प्राकृतिक खेती, जिसे स्थानीय भाषा में 'प्रकृति व्यावासयम' कहा जाता है, को बढ़ावा देने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है। यह पहल राज्य के कृषि क्षेत्र को अधिक टिकाऊ और पर्यावरण के अनुकूल बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। यह पारंपरिक रासायनिक खेती से हटकर ऐसी प्रथाओं को अपनाने की दिशा में है जो मिट्टी के स्वास्थ्य को सुधारती हैं, पानी की गुणवत्ता को बनाए रखती हैं, और रासायनिक उर्वरकों व कीटनाशकों पर निर्भरता को कम करती हैं।प्राकृतिक खेती के कई लाभ हैं, जैसे कि यह किसानों की लागत को कम कर सकती है, उपभोक्ताओं को स्वस्थ भोजन प्रदान कर सकती है, और पर्यावरणीय गिरावट को रोकने में मदद कर सकती है। इस क्षेत्र को विकसित करने के लिए सरकार, कृषि संगठनों और किसानों के बीच सहयोग की आवश्यकता है। इसमें किसानों को प्राकृतिक खेती की तकनीकों का प्रशिक्षण देना, इसके फायदों के बारे में जागरूकता फैलाना, और इस बदलाव को अपनाने के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करना शामिल है।
प्राकृतिक खेती का विस्तार न केवल किसानों के लिए आर्थिक रूप से लाभकारी हो सकता है, बल्कि यह समग्र पर्यावरण और उपभोक्ताओं के स्वास्थ्य के लिए भी महत्वपूर्ण है। यह आंध्र प्रदेश के कृषि क्षेत्र के भविष्य और राज्य के टिकाऊ विकास लक्ष्यों को प्राप्त करने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस पहल का उद्देश्य अधिक से अधिक किसानों को प्राकृतिक खेती की ओर प्रेरित करना है, जिससे राज्य में एक स्वस्थ और अधिक लचीला कृषि पारिस्थितिकी तंत्र का निर्माण हो सके।