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आगरा में अवैध धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़: पाकिस्तान और स्विट्जरलैंड तक फैले तार

उत्तर प्रदेश के आगरा में एक अवैध धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़ हुआ है, जिसमें पाकिस्तान और स्विट्जरलैंड तक के तार जुड़े हैं। पुलिस की जांच में यह सामने आया है कि गिरोह युवाओं को ऑनलाइन गेम्स और सोशल मीडिया के माध्यम से इस्लाम में धर्मांतरण के लिए प्रभावित कर रहा था। अब तक कई आरोपियों को गिरफ्तार किया जा चुका है, और जांच एजेंसियां इस गिरोह के अन्य संभावित संबंधों की तलाश कर रही हैं। जानें इस मामले की पूरी कहानी और इसके पीछे के मास्टरमाइंड के बारे में।
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आगरा में अवैध धर्मांतरण रैकेट का भंडाफोड़: पाकिस्तान और स्विट्जरलैंड तक फैले तार

UP Conversion Gang: अवैध धर्मांतरण का खुलासा

UP Conversion Gang: उत्तर प्रदेश के आगरा में एक अवैध धर्मांतरण रैकेट का पर्दाफाश हुआ है, जिसमें कई चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं। पुलिस की जांच में यह पता चला है कि यह गिरोह भारत के विभिन्न राज्यों में सक्रिय था और इसके संबंध पाकिस्तान और स्विट्जरलैंड तक फैले हुए हैं। आगरा के पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार ने बताया कि यह नेटवर्क देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है और इसकी जांच कई केंद्रीय एजेंसियों द्वारा की जा रही है।


धर्मांतरण नेटवर्क का पाकिस्तान से संबंध

पुलिस कमिश्नर दीपक कुमार के अनुसार, इस गिरोह के तार पाकिस्तान के कुछ व्यक्तियों से जुड़े हुए हैं, जिन्होंने भारतीय युवाओं को इस्लाम अपनाने के लिए प्रेरित किया। सोशल मीडिया के माध्यम से संपर्क स्थापित कर युवाओं को कट्टरपंथी विचारधारा की ओर मोड़ा जा रहा था।


सोशल मीडिया और ऑनलाइन गेम्स का उपयोग

जांच में यह भी सामने आया है कि धर्मांतरण के लिए युवाओं को टारगेट करने का एक तरीका ऑनलाइन गेम्स जैसे लूडो के माध्यम से बातचीत शुरू करना था। एक बार संपर्क स्थापित होने के बाद, उन्हें इस्लाम धर्म की अच्छाइयों के बारे में बताया जाता और धीरे-धीरे उनका ब्रेनवॉश किया जाता। इसके साथ ही, उन्हें व्हाट्सएप ग्रुप्स में जोड़कर कट्टर विचारधारा से प्रभावित किया जाता था।


दिल्ली और गोवा के मास्टरमाइंड

पुलिस के अनुसार, इस रैकेट का संचालन दिल्ली के अब्दुल रहमान और गोवा की आयशा कर रहे थे। अब्दुल रहमान ने 1990 में इस्लाम धर्म अपनाया था। इनके नेतृत्व में यह गिरोह उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और हरियाणा जैसे राज्यों में लड़कियों को निशाना बना रहा था। कई लड़कियों को सुरक्षित निकाला गया है।


डार्क वेब और एन्क्रिप्टेड ऐप्स का इस्तेमाल

यह गिरोह तकनीकी रूप से भी काफी उन्नत था। पुलिस ने बताया कि इसके कम से कम तीन सदस्यों को डार्क वेब की जानकारी थी और वे उसी के जरिए संवाद करते थे। इसके अलावा, सिग्नल जैसे एन्क्रिप्टेड ऐप्स का उपयोग करके एजेंसियों की निगरानी से बचने की कोशिश की जाती थी।


आर्थिक रूप से कमजोर युवाओं को निशाना बनाना

गिरोह की एक रणनीति यह थी कि वे ऐसे युवाओं को निशाना बनाते थे जो आर्थिक रूप से कमजोर या मानसिक रूप से अस्थिर थे। इन युवाओं को पहले सहारा दिया जाता और फिर धीरे-धीरे कट्टरपंथ की ओर मोड़ा जाता।


जांच एजेंसियों की कार्रवाई

धर्मांतरण रैकेट के मास्टरमाइंड के ठिकानों पर पुलिस और ईडी ने छापेमारी की है। 17 जुलाई को ईडी ने छांगुर की दुकान से कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जब्त किए, जिनमें स्विट्जरलैंड के ज्यूरिख स्थित हबीब बैंक से जुड़े दस्तावेज भी शामिल हैं। अब जांच एजेंसियां यह पता लगाने में जुटी हैं कि इस गिरोह के तार और किन-किन देशों से जुड़े हुए हैं।