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आज चंद्रग्रहण: जानें समय और सूतक काल

आज, 7 सितंबर 2025 को चंद्रग्रहण होगा, जो पूर्ण चंद्रग्रहण के रूप में दिखाई देगा। यह विशेष ग्रहण भारत में देखा जा सकेगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य रहेगा। जानें इस चंद्रग्रहण का समय, सूतक काल और इसके दौरान होने वाले विशेष घटनाक्रम के बारे में।
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आज चंद्रग्रहण: जानें समय और सूतक काल

चंद्रग्रहण की जानकारी


जानिए सूतक काल और कब से लगेगा ग्रहण
चंद्रग्रहण तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में आ जाता है। यह स्थिति तब बनती है जब सूर्य, पृथ्वी और चंद्रमा एक सीधी रेखा में होते हैं। इस कारण चंद्रग्रहण केवल पूर्णिमा को ही होता है। आज, 7 सितंबर 2025 को भाद्रपद माह की पूर्णिमा पर साल का दूसरा चंद्रग्रहण होगा, जो पूर्ण चंद्रग्रहण के रूप में दिखाई देगा और इसमें ब्लड मून का दृश्य देखने को मिलेगा।


यह चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य रहेगा। सूतक काल ग्रहण से 9 घंटे पहले शुरू होता है। इसके बाद, 21 सितंबर को सूर्य ग्रहण भी होगा। यह चंद्रग्रहण लगभग 82 मिनट तक चलेगा, जिसमें चंद्रमा लाल रंग का दिखाई देगा।


चंद्र ग्रहण 2025 का समय

2025 में चंद्रग्रहण 7 और 8 सितंबर के बीच होगा। यह विशेष चंद्रग्रहण ब्लड मून के रूप में जाना जाएगा। भारतीय समयानुसार, यह ग्रहण 7 सितंबर को रात लगभग 10 बजे शुरू होगा और 08 सितंबर की मध्य रात्रि तक चलेगा। ग्रहण का स्पर्श काल रात 11:09 बजे, मध्यकाल 11:42 बजे और मोक्ष काल 12:23 बजे होगा।


कुंभ राशि में लगेगा ग्रहण

यह चंद्रग्रहण भारत में दिखाई देगा, इसलिए इसका सूतक काल मान्य रहेगा। सूतक काल ग्रहण के 9 घंटे पहले शुरू होता है, जबकि सूर्य ग्रहण में यह 5 घंटे पहले शुरू होता है। पंचांग के अनुसार, यह चंद्रग्रहण भाद्रपद माह की पूर्णिमा तिथि पर होगा और इस दिन से पितृपक्ष की शुरुआत होगी। यह ग्रहण कुंभ राशि में लगेगा, जिसमें चंद्रमा पूवार्भाद्रपद और शतभिषा नक्षत्र में होगा।


दोपहर 12 बजकर 57 मिनट पर शुरू होगा सूतक काल

इस साल का दूसरा चंद्रग्रहण भारत में देखा जा सकेगा, जिससे इसका सूतक काल मान्य होगा। सूतक काल 07 सितंबर को दोपहर 12:57 बजे शुरू होगा। सूतक काल के दौरान किसी भी शुभ कार्य या पूजा-पाठ को वर्जित माना जाता है, और मंदिरों के पट बंद कर दिए जाते हैं।


कब लगता है चंद्रग्रहण

जब पृथ्वी सूर्य और चंद्रमा के बीच आ जाती है, तो सूर्य की रोशनी चंद्रमा तक नहीं पहुँच पाती और चंद्रमा पर पृथ्वी की छाया पड़ती है। इस दौरान चंद्रमा का रंग लाल या काला हो जाता है, जिसे चंद्रग्रहण कहा जाता है।