आरएसएस की जोधपुर बैठक में सामाजिक मुद्दों पर चर्चा
आरएसएस की तीन दिवसीय बैठक का सारांश
जोधपुर में आयोजित राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की तीन दिवसीय बैठक में सरसंघचालक मोहन भागवत और सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले के साथ 32 संगठनों के लगभग 320 प्रतिनिधियों ने भाग लिया। इस बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की गई। संघ के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख सुनील आंबेकर ने संवाददाता सम्मेलन में बताया कि पंजाब के स्वयंसेवकों ने सामाजिक अराजकता के खतरों के बारे में चेतावनी दी। उन्होंने राज्य में वंचित वर्ग के लिए संघ द्वारा किए जा रहे कार्यों, नशे की समस्या और युवाओं पर इसके प्रभाव पर भी चर्चा की।
बैठक में पश्चिम बंगाल में अवैध प्रवासन, धर्मांतरण और घुसपैठ पर भी विचार किया गया। आंबेकर ने कहा कि मणिपुर में कुकी और मैतेई समुदायों के बीच सामंजस्य लाने के लिए संघ ने प्रयास किए हैं और वहां शांति की स्थिति को देखकर संतोष व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि पूर्वोत्तर में अलगाववाद और हिंसा में कमी आई है, जो हाल के प्रयासों का परिणाम है।
आंबेकर ने केंद्र सरकार और कुकी-दो समुदायों के बीच हाल ही में हुए समझौते पर भी खुशी जताई। उन्होंने कहा कि अब जब मैतेई समुदाय के लिए राष्ट्रीय राजमार्ग फिर से खुल गया है, तो उम्मीद है कि शांति बनी रहेगी। आरएसएस ने लंबे समय से इस क्षेत्र पर ध्यान केंद्रित किया है और दोनों समुदायों को एकजुट करने के लिए प्रयास किए हैं।
बैठक में नक्सल और माओवादी हिंसा में कमी पर भी चर्चा हुई, लेकिन यह भी पाया गया कि आदिवासी समाज को गुमराह करने के प्रयास जारी हैं। इस संदर्भ में, वनवासी कल्याण आश्रम द्वारा किए जा रहे कार्यों पर भी चर्चा की गई और आदिवासी समाज में भारतीय परंपरा और राष्ट्रीय विचारों के प्रसार की आवश्यकता पर बल दिया गया।
काशी-मथुरा विवाद पर आंबेकर ने कहा कि इन समस्याओं का समाधान संघर्ष या आंदोलन से नहीं, बल्कि कानूनी और संवाद के माध्यम से होना चाहिए। संघ प्रमुख मोहन भागवत ने भी पहले कहा है कि संघ इन मुद्दों को सीधे अपने हाथ में नहीं लेगा। महिलाओं की भागीदारी पर आंबेकर ने कहा कि आरएसएस हर क्षेत्र में महिलाओं की भागीदारी बढ़ाने के लिए प्रयासरत है।
बैठक के दौरान राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी) और उसके कार्यान्वयन पर भी चर्चा हुई। रिपोर्ट्स के अनुसार, एनईपी सही दिशा में आगे बढ़ रही है, जिसमें भारतीय भाषाओं और परंपराओं का समावेश किया जा रहा है। आंबेकर ने कहा कि आरएसएस का मानना है कि भारत की शिक्षा प्रणाली में सभी स्तरों पर भारतीय भाषाओं को अपनाया जाना चाहिए।
आरएसएस ने अपने शताब्दी वर्ष के लिए नियोजित कार्यक्रमों पर भी चर्चा की। संघ का शताब्दी वर्ष 2025 की विजयादशमी से 2026 की विजयादशमी तक मनाया जाएगा, जिसमें 2 अक्तूबर, 2025 को नागपुर में विजयादशमी समारोह के साथ औपचारिक उद्घाटन होगा।
धर्मांतरण और लवजिहाद का गंभीर मुद्दा
उत्तर प्रदेश के छांगुर गिरोह की गतिविधियों से धर्मांतरण और लवजिहाद का गंभीरता से पता चलता है। जलालुद्दीन उर्फ छांगुर ने 2047 तक देश को इस्लामिक राष्ट्र बनाने का लक्ष्य रखा था और इसके लिए उसने 2015 से हिंदू युवतियों और युवकों का मतांतरण करवाने का कार्य किया।
इस गिरोह को कई मुस्लिम देशों से लगभग 500 करोड़ रुपये प्राप्त हुए थे। छांगुर ने 1,000 से अधिक युवकों को गिरोह में भर्ती किया था, जिन्हें मतांतरण कराने पर 50,000 से 1,00,000 रुपये तक दिए जाते थे। एटीएस ने इस मामले में छांगुर के बेटे महबूब और सहयोगी नवीन के खिलाफ आरोप पत्र दाखिल किया है।
पुलिस के साथ छांगुर की साठगांठ थी और गिरोह का निशाना गरीब, बेरोजगार और विधवा हिंदू युवतियां थीं। एटीएस को प्रमाण मिले हैं कि नीतू को विदेशी स्रोतों से 16.50 करोड़ रुपये मिले थे, जिसमें से 1.30 करोड़ छांगुर और महबूब को हस्तांतरित किए गए थे।
संघ की चिंताएं और समाधान
धर्मांतरण, लवजिहाद और अवैध घुसपैठ जैसे मुद्दों पर संघ ने अपनी चिंता व्यक्त की है। इन समस्याओं का समाधान तभी संभव है जब समाज और सरकार एकजुट होकर देश विरोधी शक्तियों के खिलाफ कार्य करें। संघ की चिंताओं को देश की चिंताओं के रूप में देखना आवश्यक है, तभी इन गंभीर चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा।
आरएसएस की महिला भागीदारी
-इरविन खन्ना, मुख्य संपादक।