आरएसएस की शताब्दी समारोह में मोहन भागवत का संबोधन

आरएसएस की स्थापना का शताब्दी समारोह
नागपुर: राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100 वर्ष पूरे होने का जश्न मनाया। इस विशेष अवसर पर विजयादशमी के दिन नागपुर के रेशमबाग मैदान में एक भव्य कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद मुख्य अतिथि के रूप में शामिल हुए। यह आयोजन विजयादशमी उत्सव के साथ-साथ संघ के शताब्दी वर्ष की शुरुआत का प्रतीक भी बना। कार्यक्रम की शुरुआत सरसंघचालक मोहन भागवत ने शस्त्र पूजा से की।
मोहन भागवत का संबोधन: अपने भाषण में मोहन भागवत ने हाल ही में हुए पहलगाम हमले का जिक्र किया, जिसमें निर्दोष हिंदुओं की हत्या की गई। उन्होंने कहा कि हमारी सेना और सरकार ने इस हमले का प्रभावी जवाब दिया। भागवत ने कहा कि इस प्रकार की घटनाएं यह स्पष्ट करती हैं कि मित्र और शत्रु कौन हैं। हमें अंतरराष्ट्रीय संबंधों में सतर्क रहना चाहिए। उन्होंने भारतीय सेना की वीरता की सराहना की और कहा कि हमें सुरक्षा के प्रति और अधिक सजग रहना होगा।
भागवत ने नक्सलवाद पर शासन और प्रशासन की कठोर कार्रवाई की बात की और कहा कि उग्रवाद को फिर से पनपने नहीं दिया जाना चाहिए। उन्होंने वैश्विक परिदृश्य में हो रहे हिंसक आंदोलनों का उल्लेख करते हुए कहा कि हिंसा से बदलाव संभव नहीं है। भारत को आत्मनिर्भर बनकर अपनी आर्थिक मजबूती सुनिश्चित करनी होगी।
उन्होंने कहा कि भारत एक ऐसी संस्कृति का प्रतिनिधित्व करता है, जो सृष्टि के कल्याण की बात करती है। हमें धैर्य के साथ सामाजिक और मानसिक बदलाव की दिशा में काम करना होगा। भागवत ने समाज और व्यवस्था के संबंध को स्पष्ट करते हुए कहा कि समाज का आचरण बदलेगा तभी व्यवस्था में बदलाव आएगा।
रामनाथ कोविंद का संबोधन: पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने विजयादशमी की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि उनके जीवन में नागपुर के दो महापुरुषों का विशेष स्थान है — डॉक्टर केशव बलिराम हेडगेवार और बाबा साहब भीमराव आंबेडकर। उन्होंने संघ के साथ अपने जुड़ाव को याद करते हुए बताया कि जब वे कानपुर से भाजपा प्रत्याशी थे, तब उनका संघ से परिचय हुआ।
कोविंद ने कहा कि संघ के स्वयंसेवक जातिगत भेदभाव से परे होते हैं और संघ हमेशा सामाजिक एकता का पक्षधर रहा है। उन्होंने बताया कि उनकी आत्मकथा इस वर्ष के अंत तक प्रकाशित होगी, जिसमें उन्होंने स्वयंसेवकों से जुड़े अपने अनुभवों का उल्लेख किया है।
इस अवसर पर मोहन भागवत और रामनाथ कोविंद ने संघ के संस्थापक डॉक्टर हेडगेवार की प्रतिमा पर पुष्पांजलि अर्पित की। कार्यक्रम में महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस और केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी समेत कई प्रमुख नेता उपस्थित रहे। इस आयोजन में 21 हजार स्वयंसेवकों ने भाग लिया।