आरएसएस के 100 वर्ष: मोहन भागवत ने भारत को विश्वगुरु बनाने की यात्रा का किया उल्लेख

आरएसएस का शताब्दी समारोह
- आरएसएस के 100 वर्ष पूरे होने पर विज्ञान भवन में ‘100 वर्ष की संघ यात्रा-नए क्षितिज’ कार्यक्रम का आयोजन
नई दिल्ली। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (आरएसएस) ने अपने 100 वर्ष पूरे कर लिए हैं। इस अवसर पर विज्ञान भवन में एक विशेष कार्यक्रम आयोजित किया गया है, जिसका नाम ‘100 वर्ष की संघ यात्रा-नए क्षितिज’ है। यह तीन दिवसीय आयोजन 28 अगस्त तक चलेगा। संघ प्रमुख मोहन भागवत हर दिन शाम 5:30 बजे व्याख्यान देंगे। पहले दिन, भागवत ने कहा कि ‘भारत में पिछले 40,000 वर्षों से रहने वाले लोगों का डीएनए एक है। मिलजुल कर रहना हमारी संस्कृति है।’
उन्होंने यह भी कहा कि एकता के लिए एकरूपता आवश्यक नहीं है; विविधता में भी एकता है। भागवत ने संघ की यात्रा को भारत को विश्वगुरु बनाने के लिए बताया। उन्होंने कहा, ‘हम रोज प्रार्थना में कहते हैं भारत माता की जय। यह केवल एक नारा नहीं है, बल्कि हमारी तपस्या है। भारत नंबर 1 बनेगा। समय आ गया है कि भारत दुनिया को योगदान दे।’
भागवत ने 1857 के युद्ध का उल्लेख करते हुए कहा कि भले ही वह असफल रहा, लेकिन उसने नई चेतना को जन्म दिया। लोगों ने यह सवाल उठाया कि वे दूर से आए आक्रांताओं से क्यों हार गए। इसी असंतोष ने स्वतंत्रता आंदोलन को जन्म दिया।
उन्होंने कहा कि एक धारा यह भी थी कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए। स्वामी विवेकानंद और स्वामी दयानंद ने समाज को उसकी मूल शक्ति से जोड़ने का प्रयास किया। उनका प्रभाव आज भी भारत की सोच में दिखाई देता है।
भागवत ने कहा कि अब दुनिया करीब आ गई है, इसलिए हमें भी वैश्विक दृष्टि अपनानी होगी। हर राष्ट्र का एक मिशन होता है, और भारत का मिशन मानवता को नई दिशा देना है।
समाज में सुधार की निरंतरता
भागवत ने कहा कि समाज अंधविश्वासों से भरा था। सुधार आंदोलन चले और उनका असर भी हुआ। लेकिन सब कुछ पूरी तरह ठीक नहीं हुआ। विवेकानंद ने समाज को मूल पर लौटाने का प्रयास किया। उनका प्रभाव आज भी भारत की हर गतिविधि में दिखता है। उन्होंने कहा कि डॉ. हेडगेवार ने भी चारों धाराओं में काम किया। उनके भीतर बचपन से ही देशभक्ति की भावना थी। यही वजह है कि उन्होंने संघ की स्थापना की।
संवाद और संघ की छवि
भागवत ने कहा कि संघ को लेकर बहुत चर्चाएं होती हैं। अक्सर ये चर्चाएं धारणाओं पर आधारित होती हैं, तथ्यों पर नहीं। 2018 में इसी सभागार में संवाद हुआ था। उद्देश्य किसी को कन्विंस करना नहीं, बल्कि तथ्य सामने रखना था। वही प्रयास अब फिर से हो रहा है। उन्होंने कहा कि संघ की 100 साल की यात्रा सिर्फ संघ को चलाने के लिए नहीं है। यह यात्रा भारत को अग्रगण्य स्थान दिलाने के लिए है।
मोहन भागवत समाज को नई राह दिखा रहे हैं

कार्यक्रम में राज्यसभा सांसद कातिर्केय शर्मा भी पहुंचे। उन्होंने कहा, मोहन भागवत को सुनना हमारे लिए गर्व की बात है। उन्होंने कहा कि आरएसएस एक बड़ी संस्था है जो देश के विकास और लोगों की प्रगति के लिए काम कर रही है। आज मोहन भागवत से मिलना और इस समारोह में शामिल होना हमारे लिए गर्व की बात है।
उन्होंने कहा कि संघ के 100 साल पूरे होने पर विभिन्न कार्यक्रमों के जरिए समाज के सभी लोगों तक पहुंचने की कोशिश आरएसएस द्वारा की जा रही है। इन कार्यक्रमों के दौरान संघ को लेकर विस्तृत जानकारी समाज के सामने रखना मुख्य उद्देश्य है। शर्मा ने कहा कि दुनिया अब एक-दूसरे के करीब आ गई है। वैश्विक दृष्टि से सोचना जरूरी है। हर देश का अपना योगदान है। भारत का योगदान मानवता को दिशा देना है। विवेकानंद का कथन याद करते हुए उन्होंने कहा कि हर राष्ट्र का एक मिशन होता है। भारत का मिशन विश्व को एकता और शांति का मार्ग दिखाना है।
समारोह में उपस्थित गणमान्य व्यक्ति
समारोह में बाबा रामदेव, भाजपा सांसद मनोज तिवारी, केंद्रीय मंत्री एसपी सिंह बघेल, अभिनेत्री कंगना रनौत, अनुप्रिया पटेल, रेल राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू, पूर्व सीजेआई रंजन गोगोई सहित अन्य बुद्धिजीवी मौजूद रहे।