आरबीआई ने रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखा, GDP वृद्धि का अनुमान बढ़ाया

आरबीआई की मौद्रिक नीति की घोषणा
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 1 अक्टूबर 2025 को अपनी मौद्रिक नीति के निर्णय की जानकारी दी। यह निर्णय आरबीआई गवर्नर संजय मल्होत्रा की अध्यक्षता में वित्त वर्ष 26 के लिए मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) की चौथी द्विमासिक बैठक के दौरान लिया गया, जो 29 सितंबर से 1 अक्टूबर तक आयोजित की गई थी।
आरबीआई ने मौजूदा घरेलू और वैश्विक परिस्थितियों को ध्यान में रखते हुए रेपो दर को 5.5 प्रतिशत पर बनाए रखने का निर्णय लिया। गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बताया कि छह सदस्यीय मौद्रिक नीति समिति ने आम सहमति से यह निर्णय लिया है।
उन्होंने यह भी बताया कि मौद्रिक नीति का रुख तटस्थ रखा गया है, जिसका अर्थ है कि केंद्रीय बैंक आर्थिक स्थिति के अनुसार नीतिगत दर में समायोजन के लिए लचीला रहेगा। रेपो दर वह ब्याज दर है, जिस पर वाणिज्यिक बैंक अपनी तात्कालिक जरूरतों के लिए केंद्रीय बैंक से कर्ज लेते हैं। रेपो दर के स्थिर रहने से आवास, वाहन और अन्य खुदरा कर्ज पर ब्याज में कोई बदलाव नहीं होने की संभावना है।
आरबीआई ने 2025-26 के लिए सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) की वृद्धि दर के अनुमान को बढ़ाकर 6.8 प्रतिशत कर दिया है, जबकि पहले यह 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमान था। इसके अलावा, चालू वित्त वर्ष के लिए खुदरा मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.6 प्रतिशत कर दिया गया है, जबकि पहले यह 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान था।
यह लगातार दूसरी बार है जब रेपो दर को यथावत रखा गया है। इससे पहले, केंद्रीय बैंक ने इस वर्ष फरवरी से जून तक रेपो दर में एक प्रतिशत की कमी की थी। जून की मौद्रिक नीति समीक्षा में रेपो दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती की गई थी, जबकि फरवरी और अप्रैल की समीक्षाओं में 0.25-0.25 प्रतिशत की कमी की गई थी।