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आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखा, विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए कदम

आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने अगस्त की मौद्रिक नीति में रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर स्थिर रखने की घोषणा की है। उन्होंने विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए गए कदमों के बारे में जानकारी दी। इसके साथ ही, जीडीपी वृद्धि और महंगाई के अनुमान भी साझा किए गए हैं। जानें इस महत्वपूर्ण नीति के प्रभाव और भविष्य की संभावनाओं के बारे में।
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आरबीआई ने रेपो रेट को स्थिर रखा, विकास को बढ़ावा देने के लिए उठाए कदम

आरबीआई गवर्नर का मौद्रिक नीति पर बयान

मुंबई: आरबीआई के गवर्नर संजय मल्होत्रा ने बुधवार को अगस्त की मौद्रिक नीति समिति (एमपीसी) के निर्णयों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि रेपो रेट को 5.50 प्रतिशत पर बनाए रखा गया है। इसके साथ ही, केंद्रीय बैंक ने मौद्रिक नीति का रुख 'न्यूट्रल' रखने का निर्णय लिया है। गवर्नर ने कहा, 'आरबीआई ने विकास को प्रोत्साहित करने के लिए महत्वपूर्ण और दूरदर्शी कदम उठाए हैं। एमपीसी ने सर्वसम्मति से रेपो रेट को अपरिवर्तित रखने का निर्णय लिया है।'


इससे पहले, जून में आरबीआई गवर्नर ने रेपो रेट को 0.50 प्रतिशत घटाकर 5.5 प्रतिशत किया था। वित्त वर्ष 2025-26 के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत पर स्थिर रखा गया है। चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि का अनुमान 6.5 प्रतिशत, दूसरी तिमाही के लिए 6.7 प्रतिशत, तीसरी तिमाही के लिए 6.6 प्रतिशत और चौथी तिमाही के लिए 6.3 प्रतिशत है।


अगले वित्त वर्ष (2026-27) की पहली तिमाही के लिए जीडीपी वृद्धि दर 6.6 प्रतिशत रहने की संभावना है। गवर्नर के अनुसार, वित्त वर्ष 2025-26 में महंगाई दर 3.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में महंगाई 2.1 प्रतिशत, तीसरी तिमाही में 3.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत हो सकती है। वहीं, वित्त वर्ष 2026-27 की पहली तिमाही के लिए महंगाई दर का अनुमान 4.9 प्रतिशत है।


मल्होत्रा ने बताया कि एक अगस्त तक देश का विदेशी मुद्रा भंडार 688.19 अरब डॉलर है, जो कि देश के 11 महीने के व्यापारिक आयात को कवर करने के लिए पर्याप्त है। आरबीआई ने फरवरी से अब तक रेपो रेट में एक प्रतिशत की कटौती की है, जिसमें फरवरी में 0.25 प्रतिशत, अप्रैल में 0.25 प्रतिशत और जून में 0.50 प्रतिशत की कमी शामिल है।