आलू की खेती के लिए महत्वपूर्ण सुझाव: बुवाई से पहले करें ये तैयारी

आलू की अगेती किस्म से किसानों को मिलेगा लाभ
किसान सितंबर में आलू की अगेती किस्म की खेती में जुटते हैं
देश के विभिन्न हिस्सों में, किसान सितंबर के महीने में आलू की अगेती किस्म की बुवाई करने के लिए तैयार होते हैं। यह फसल कम समय में अच्छी पैदावार देती है, जिससे किसान इसे बड़े पैमाने पर उगाते हैं। आलू की बुवाई आमतौर पर सितंबर के पहले सप्ताह से शुरू होती है।
इस समय की बुवाई से किसान दीपावली से पहले नई आलू की फसल प्राप्त कर सकते हैं, जिससे उन्हें अच्छा मुनाफा होता है। हालांकि, आलू की खेती में कुछ चुनौतियाँ भी होती हैं, जैसे कि फसल में रोग लगना। इन रोगों से बचने के लिए, किसानों को बुवाई के समय कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान रखना आवश्यक है।
बीज उपचार का महत्व
बुवाई से पहले बीज का उपचार आवश्यक है
जो किसान आलू की अगेती किस्म उगाना चाहते हैं, उनके लिए यह समय लाभकारी है। इस समय आलू की नई फसल बाजार में कम होती है, जिससे मांग अधिक रहती है।
अच्छी पैदावार के लिए, आलू की बुवाई से पहले बीज का उपचार करना आवश्यक है। इससे फसल को रोगों से बचाया जा सकता है और उत्पादन में वृद्धि होती है।
बीज उपचार की प्रक्रिया
बीज उपचार कैसे करें
आलू की फसल के लिए बीज उपचार की तैयारी पहले से करनी होती है। इसके लिए, आलू को एक सप्ताह पहले काटकर दो भागों में बांट लें। फिर, एक बड़े टब में 2 ग्राम मैंकोजेब 75 डब्ल्यूपी को प्रति लीटर पानी में घोलकर तैयार करें।
कटे हुए आलू के टुकड़ों को उस टब में 15 मिनट के लिए भिगोएं और फिर छायादार स्थान पर सुखा लें। इसके बाद खेत की तैयारी कर आलू की बुवाई करें।
बुवाई का सही समय
15 से 25 सितंबर का समय उपयुक्त
आलू की अगेती किस्मों की बुवाई के लिए 15 से 25 सितंबर का समय सबसे उपयुक्त माना जाता है। इस समय बुवाई करने से फसल जल्दी पककर बाजार में आ जाती है, जिससे किसानों को अच्छे दाम मिलते हैं।
अगेती किस्में 60 से 90 दिनों में तैयार हो जाती हैं, जिससे किसान रबी की अगली फसल जैसे गेहूं, मटर, जौ, सरसों आदि भी आसानी से लगा सकते हैं।