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आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ा झटका, फिर से जेल में जाना होगा

राजस्थान हाईकोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत को बढ़ाने से मना कर दिया है, जिसके बाद उन्हें फिर से जोधपुर की सेंट्रल जेल में सरेंडर करना होगा। कोर्ट ने उनकी स्वास्थ्य स्थिति को देखते हुए जमानत बढ़ाने की आवश्यकता नहीं समझी। हालांकि, आसाराम को भविष्य में स्वास्थ्य समस्याओं के लिए चिकित्सकीय सहायता लेने की अनुमति दी गई है। जानें इस मामले की पूरी जानकारी और आसाराम की वर्तमान स्थिति के बारे में।
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आसाराम को राजस्थान हाईकोर्ट से बड़ा झटका, फिर से जेल में जाना होगा

आसाराम की अंतरिम जमानत पर हाईकोर्ट का फैसला

नई दिल्ली। राजस्थान हाईकोर्ट ने बुधवार को आसाराम को एक महत्वपूर्ण झटका दिया है। जनवरी 2025 के तीसरे सप्ताह से जेल से बाहर रह रहे आसाराम की अंतरिम जमानत को बढ़ाने से कोर्ट ने मना कर दिया है। इस निर्णय के बाद, आसाराम को फिर से जोधपुर की सेंट्रल जेल में सरेंडर करना होगा।

सूत्रों के अनुसार, आसाराम ने राजस्थान हाईकोर्ट में अपनी अंतरिम जमानत बढ़ाने के लिए याचिका दायर की थी। जस्टिस दिनेश मेहता और जस्टिस विनीत कुमार माथुर की बेंच ने इस याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने 29 अगस्त तक जमानत बढ़ाने के साथ ही अहमदाबाद के सिविल अस्पताल में तीन विशेषज्ञ चिकित्सकों का मेडिकल बोर्ड बनाने का आदेश दिया था। इस बोर्ड में दो कार्डियक और एक न्यूरोलॉजी विशेषज्ञ शामिल थे। कोर्ट ने आसाराम की स्वास्थ्य जांच के बाद मेडिकल बोर्ड की रिपोर्ट को ईमेल के माध्यम से रजिस्ट्रार ज्यूडिशियल को भेजने का निर्देश दिया था। बुधवार को सुनवाई के दौरान, सिविल अस्पताल अहमदाबाद की रिपोर्ट की समीक्षा के बाद, कोर्ट ने आसाराम की अंतरिम जमानत को बढ़ाने से इंकार कर दिया। यह निर्णय आसाराम के लिए एक बड़ा झटका साबित हुआ है।

आसाराम की स्वास्थ्य स्थिति पर रिपोर्ट

आसाराम के वकीलों ने तर्क दिया कि उन्हें गुजरात हाईकोर्ट से भी 3 सितंबर तक अंतरिम जमानत मिली हुई है, इसलिए उनकी जमानत को बढ़ाया जाना चाहिए। दूसरी ओर, सरकार की तरफ से अतिरिक्त महाधिवक्ता दीपक चौधरी ने कहा कि सिविल अस्पताल की रिपोर्ट के अनुसार, आसाराम की सेहत ठीक है, इसलिए जमानत बढ़ाने की कोई आवश्यकता नहीं है।

चिकित्सकीय सुविधा का विकल्प

हाईकोर्ट ने रिपोर्ट के आधार पर जमानत बढ़ाने से मना कर दिया। हालांकि, कोर्ट ने आसाराम को यह स्वतंत्रता दी है कि यदि भविष्य में उनकी स्वास्थ्य स्थिति बिगड़ती है, तो वे तुरंत चिकित्सकीय सहायता ले सकते हैं और नए सिरे से हाईकोर्ट में आवेदन कर सकते हैं।