इजराइल के उच्चतम न्यायालय का महत्वपूर्ण फैसला: फलस्तीनी कैदियों को भोजन की उचित आपूर्ति का आदेश

इजराइल का न्यायालय का निर्णय
इजराइल के सर्वोच्च न्यायालय ने रविवार को यह स्पष्ट किया कि सरकार को फलस्तीनी कैदियों को उचित भोजन उपलब्ध कराने की आवश्यकता है। अदालत ने सरकार को निर्देश दिया कि वह इन कैदियों को पर्याप्त और गुणवत्तापूर्ण भोजन प्रदान करे।
यह निर्णय ‘एसोसिएशन फॉर सिविल राइट्स इन इजराइल’ और ‘गीशा’ नामक मानवाधिकार संगठन द्वारा पिछले वर्ष दायर याचिका पर सुनाया गया। इजराइल-हमास युद्ध के 23 महीने के दौरान यह पहली बार है जब उच्चतम न्यायालय ने सरकार के निर्णयों पर इस तरह से सवाल उठाया है।
तीन न्यायाधीशों की पीठ ने सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया कि इजराइली सरकार की कानूनी जिम्मेदारी है कि वह फलस्तीनी कैदियों को ‘बुनियादी जीवन स्तर’ सुनिश्चित करने के लिए दिन में तीन बार भोजन उपलब्ध कराए। अदालत ने प्राधिकारियों को इस दायित्व को निभाने का आदेश दिया।
अदालत ने यह भी माना कि सरकार ने जानबूझकर जेलों में फलस्तीनी कैदियों को पर्याप्त भोजन नहीं दिया, जिसके कारण उन्हें इजराइल-हमास युद्ध के दौरान कुपोषण और भुखमरी का सामना करना पड़ा।
फैसले में कहा गया, ‘हम आरामदायक जीवन या किसी विशेष सुविधा की बात नहीं कर रहे हैं, बल्कि केवल उन आवश्यक चीजों की बात कर रहे हैं जो जीवित रहने के लिए कानून के अनुसार आवश्यक हैं। हमें अपने सबसे बुरे दुश्मनों के साथ भी ऐसा व्यवहार नहीं करना चाहिए।’
इजराइली सेना ने गाजा और कब्जे वाले वेस्ट बैंक में कई फलस्तीनियों को आतंकवादी संबंधों के संदेह में गिरफ्तार किया है। इनमें से हजारों लोगों को बिना किसी आरोप के महीनों तक जेलों में रखा गया और बाद में रिहा कर दिया गया।
गिरफ्तारी के दौरान इन लोगों ने बताया कि हालात बेहद खराब थे - जगह बहुत छोटी थी, पर्याप्त भोजन नहीं मिलता था, चिकित्सा सुविधाएं भी ठीक से नहीं थीं, और खाज-खुजली जैसी बीमारियां फैली हुई थीं।
दो मानवाधिकार संगठनों ने इसे इजराइली सरकार की सुनियोजित नीति बताया है। फलस्तीनी अधिकारियों के अनुसार, युद्ध शुरू होने के बाद से इजराइल की कैद में कम से कम 61 फलस्तीनी लोगों की मौत हो चुकी है। मार्च में, इजराइल की जेल में एक 17 वर्षीय फलस्तीनी लड़के की मौत हो गई थी, जिसके बाद चिकित्सकों ने कहा था कि मौत का मुख्य कारण भुखमरी हो सकता है।