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इजरायल-ईरान तनाव का असर: भारत में LPG की आपूर्ति पर खतरा

इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने भारत में LPG की आपूर्ति पर संकट खड़ा कर दिया है। अमेरिका द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले के बाद, LPG की सुरक्षा को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं। भारत में LPG की खपत दोगुनी हो चुकी है, लेकिन आयात पर निर्भरता भी बढ़ी है। वर्तमान में, देश में LPG का भंडार केवल 16 दिनों के लिए पर्याप्त है। यदि स्थिति और बिगड़ती है, तो आम लोगों को इसका सीधा असर झेलना पड़ सकता है। जानें इस संकट के संभावित प्रभाव और विकल्पों के बारे में।
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LPG आपूर्ति पर बढ़ता संकट

पिछले कुछ दिनों में इजरायल और ईरान के बीच बढ़ते तनाव ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। हाल ही में अमेरिका ने ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला किया, जिससे स्थिति और भी गंभीर हो गई है। इस संघर्ष का प्रभाव भारत पर भी पड़ेगा, खासकर LPG गैस की आपूर्ति पर। देश में उपयोग होने वाले LPG सिलेंडरों में से लगभग दो-तिहाई पश्चिम एशिया से आते हैं। यदि इस क्षेत्र में तनाव बढ़ता है और आपूर्ति बाधित होती है, तो इसका सीधा असर आम लोगों पर पड़ेगा।


अमेरिकी हमलों ने दुनिया के सबसे बड़े तेल उत्पादक से आपूर्ति में रुकावट की आशंका को बढ़ा दिया है। पश्चिम एशिया में तनाव के दौरान LPG की सुरक्षा सबसे अधिक प्रभावित होती है।


पिछले दशक में सरकारी प्रयासों के चलते भारत में LPG की खपत दोगुनी होकर 330 मिलियन घरों तक पहुंच गई है, जिससे आयात पर निर्भरता बढ़ी है। कुल LPG का लगभग 66% विदेश से आता है, जिसमें 95% सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात और कतर जैसे देशों से है।


वर्तमान में, भारत में LPG का भंडार बहुत कम है। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, आयात टर्मिनलों, रिफाइनरियों और बॉटलिंग प्लांट में LPG भंडारण क्षमता केवल 16 दिनों के लिए पर्याप्त है।


हालांकि, पेट्रोल और डीजल की स्थिति बेहतर है, क्योंकि भारत इनका शुद्ध निर्यातक है। घरेलू पेट्रोल खपत का लगभग 40% और डीजल का 30% निर्यात किया जाता है। आवश्यकता पड़ने पर इस मात्रा को घरेलू बाजार में भेजा जा सकता है।


LPG के वैकल्पिक स्रोतों से आयात संभव है, जैसे अमेरिका, यूरोप, मलेशिया या अफ्रीका, लेकिन इनसे माल पहुंचने में अधिक समय लगेगा। दूसरी ओर, पाइप्ड नेचुरल गैस केवल 1.5 करोड़ घरों तक ही पहुंची है, जिससे 33 करोड़ LPG कनेक्शन वाले लोगों के लिए यह विकल्प नहीं है।


कई स्थानों पर सार्वजनिक वितरण प्रणाली के माध्यम से केरोसिन की आपूर्ति बंद हो गई है। यदि शहरों में LPG की कमी होती है, तो खाना पकाने के लिए बिजली ही एकमात्र विकल्प रह जाएगा।