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इजरायल-ईरान संघर्ष: ट्रंप का चेतावनी भरा बयान

इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप ने एक गंभीर बयान दिया है, जिसमें उन्होंने ईरान को चेतावनी दी है कि उसे परमाणु हथियार नहीं रखने चाहिए। उन्होंने तेहरान से पलायन करने का भी आग्रह किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि एक बड़ा हमला हो सकता है। इस संघर्ष में अब तक कई लोगों की जान जा चुकी है और स्थिति गंभीर बनी हुई है। जानें इस संघर्ष के ताजा हालात और ट्रंप के बयान का क्या असर हो रहा है।
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इजरायल-ईरान संघर्ष: ट्रंप का चेतावनी भरा बयान

इजरायल-ईरान युद्ध की स्थिति

इजरायल-ईरान युद्ध: जी7 शिखर सम्मेलन के लिए कनाडा जाने से पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति ने एक महत्वपूर्ण बयान दिया, जिससे ईरान में हड़कंप मच गया। ट्रंप ने कहा, "ईरान को उस 'समझौते' पर हस्ताक्षर करना चाहिए था, जिस पर मैंने उनसे हस्ताक्षर करने के लिए कहा था। यह मानव जीवन की बर्बादी है। सीधे शब्दों में कहें तो ईरान के पास परमाणु हथियार नहीं होने चाहिए। मैंने यह बार-बार कहा है! सभी को तुरंत तेहरान छोड़ देना चाहिए!"


क्या एक बड़ा हमला हो रहा है?

ट्रंप ने पहले भी ईरान के परमाणु हथियारों के मुद्दे पर अपनी स्थिति स्पष्ट की है। लेकिन इस बार, उन्होंने लोगों से तेहरान छोड़ने का आग्रह किया है, जिससे यह संकेत मिलता है कि एक बड़े हमले की योजना बनाई जा रही है। इजरायल ने पहले भी तेहरान में कई हमले किए हैं, जिनमें सैन्य ठिकानों के साथ-साथ नागरिक इमारतों को भी निशाना बनाया गया था।


तेहरान में पलायन की स्थिति

इजरायल के हमलों के चलते, लोग तेहरान छोड़कर अन्य शहरों की ओर बढ़ रहे हैं, जिससे रविवार को सड़कों पर जाम जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई। ट्रंप के बयान के बाद यह पलायन और तेज हो गया है।


अमेरिका का रुख

सीबीएस की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिकी अधिकारियों ने स्पष्ट किया है कि वे ईरान पर इजरायल के हमले में शामिल नहीं हैं। हालांकि, राष्ट्रपति ट्रंप ने राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की बैठक बुलाने का निर्देश दिया है, लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि अमेरिका हमलों में भाग लेगा। राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सदस्य हमेशा तैयार रहते हैं, खासकर पिछले सप्ताह इजरायल द्वारा ईरान पर हमले के बाद।


ईरान-इजरायल संघर्ष का हाल

13 जून को इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों और सैन्य ठिकानों पर हमले के बाद से दोनों देशों के बीच संघर्ष जारी है। इस युद्ध में अब तक 30 ईरानी सैन्य अधिकारियों और वैज्ञानिकों सहित लगभग 230 लोगों की जान जा चुकी है, जबकि 1200 से अधिक लोग घायल हुए हैं। इजरायल में भी 24 से अधिक लोगों की मौत हो चुकी है और लगभग 250 लोग घायल हैं।