इजरायल-ईरान संघर्ष: न्यूक्लियर प्रोग्राम पर राजदूत रियुवेन अजार की महत्वपूर्ण बातें

इजरायल के राजदूत से बातचीत
सन्डे गार्डियन पॉडकास्ट में जॉयता बसु ने इजरायल के राजदूत रियुवेन अजार से बातचीत की। इस चर्चा में उन्होंने इजरायल के न्यूक्लियर प्रोग्राम और ईरान के परमाणु कार्यक्रम पर कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर प्रकाश डाला। अजार ने कहा कि अमेरिका ने ईरान के परमाणु ठिकानों पर एक बड़ा हमला किया है, जिसमें बी-2 बमवर्षकों का उपयोग किया गया। यह हमला इजरायल और अमेरिका की संयुक्त योजना का हिस्सा है, जिसका उद्देश्य ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम को समाप्त करना है।
हमलों का व्यापक प्रभाव
अजार ने स्पष्ट किया कि ये हमले केवल एक स्थान तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम के विभिन्न हिस्सों को निशाना बनाते हैं, जैसे कि यूरेनियम संवर्धन के कारखाने और अन्य महत्वपूर्ण इंस्टॉलेशन। कुछ स्थानों, जैसे फोर्डो साइट, को काफी नुकसान हुआ है। कुल मिलाकर, इन हमलों ने ईरान के परमाणु हथियार निर्माण की प्रक्रिया को कई वर्षों पीछे धकेल दिया है।
ईरान के हथियार निर्माण की चुनौतियाँ
हथियार में यूरेनियम का रूपांतरण
राजदूत अजार ने बताया कि यूरेनियम को साफ करना आसान है, लेकिन इसे हथियार में बदलना एक जटिल प्रक्रिया है। इस कार्य में कुछ विशेष वैज्ञानिक शामिल थे, और इजरायल की खुफिया एजेंसियों और सेना ने इन वैज्ञानिकों और उनके ठिकानों को नुकसान पहुँचाया है। उन्होंने कहा कि इजरायल ने लगभग 70 स्थानों को निशाना बनाया है, जो परमाणु गतिविधियों से जुड़े थे, जिससे ईरान के कार्यक्रम को गंभीर झटका लगा है।
बचे हुए यूरेनियम का खतरा
इजरायल के लिए बचे हुए यूरेनियम का खतरा
अजार ने कहा कि ईरान में बचे हुए यूरेनियम से डर्टी बॉम्ब बनाने का खतरा एक बड़ी चुनौती है। उन्होंने बताया कि इजरायल ने कई वर्षों की खुफिया जानकारी में निवेश किया है, जिससे यह पता लगाया जा सके कि ईरान क्या कर रहा है। इस जानकारी को IAEA के साथ साझा किया गया है। यदि इजरायल की खुफिया जानकारी नहीं होती, तो IAEA ईरान के सुरक्षा समझौते के उल्लंघन की रिपोर्ट नहीं जारी कर पाती।