इजरायल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की नई सैन्य तैनाती

इजरायल-ईरान युद्ध में अमेरिका की भूमिका
इजरायल-ईरान युद्ध: मध्य पूर्व में इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष में अमेरिका ने एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। हाल ही में यह जानकारी सामने आई है कि मिसूरी स्थित वाइटमैन एयर फोर्स बेस से चार B-2 स्पिरिट स्टील्थ बॉम्बर्स और आठ KC-135 टैंकर विमानों ने उड़ान भरी है।
इस घटनाक्रम के बाद क्षेत्र में तनाव और बढ़ने की संभावना है। अमेरिका का B-2 स्पिरिट इस संघर्ष में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, क्योंकि यह GBU-57 बंकर बस्टर बम ले जाने में सक्षम है।
रिपोर्टों के अनुसार, अमेरिकी बेड़ा भारत के निकट स्थित डिएगो गार्सिया की ओर बढ़ रहा है, जो हिंद महासागर में स्थित है। यहां से अमेरिका ईरान सहित पूरे मध्य पूर्व पर हमला कर सकता है।
बी-2 बॉम्बर की विशेषताएँ
बी-2 बॉम्बर की खासियत
रडार से बचने में सक्षम इन बमवर्षकों की एक प्रमुख विशेषता उनकी 'अल्ट्रा-लॉन्ग रेंज' है, जो आठ टैंकर विमानों द्वारा हवा में ईंधन भरने से संभव हुई है। यह कोई सामान्य सैन्य तैनाती नहीं है। चर्चा है कि अमेरिका ईरान के फोर्डो परमाणु स्थल पर GBU-57 बंकर बस्टर बमों से हमला कर सकता है।
इस प्रकार अमेरिका का यह कदम नई हलचल पैदा कर रहा है। इस ऑपरेशन में शामिल B-2 विमानों का कॉलसाइन 'MYTEE21' है, जिसे पहले भी गुप्त हमले मिशनों से जोड़ा जाता रहा है।
बी-2 स्पिरिट बॉम्बर को दुनिया का सबसे महंगा और गुप्त एयर सिस्टम माना जाता है। इसकी कीमत लगभग 2.1 बिलियन डॉलर है और इसे नॉर्थ्रॉप ग्रुम्मन द्वारा विकसित किया गया है। यह विमान किसी भी देश के रडार सिस्टम को चकमा देकर कहीं भी हमला कर सकता है। रडार पर यह एक छोटे पक्षी की तरह दिखाई देता है। यह बिना ईंधन भरे 6,000 समुद्री मील की उड़ान भर सकता है और लगभग 18 टन हथियार ले जा सकता है।
ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हमले की तैयारी
ईरान के फोर्डो परमाणु संयंत्र पर हमले की तैयारी!
ईरान के फोर्डो जैसे कई परमाणु संयंत्र जमीन के अंदर गहराई में बने हैं। ऐसे में उन्हें केवल GBU-57 जैसे बम ही नुकसान पहुंचा सकते हैं, जो 200 फीट की गहराई तक घुस सकते हैं। इन बमों का भारी वजन उन्हें केवल B-2 जैसे बमवर्षक द्वारा ले जाने की अनुमति देता है।
हालांकि पेंटागन की ओर से इस मिशन के बारे में कोई आधिकारिक जानकारी नहीं दी गई है, लेकिन जिस पैमाने और तैयारी के साथ यह मिशन चलाया जा रहा है, उससे यह स्पष्ट होता है कि इस तैनाती की तैयारियां पहले से ही की गई थीं।