इजरायल-ईरान संघर्ष में अमेरिका की भूमिका और ट्रंप की प्रतिक्रिया

संघर्ष का नया मोड़
इजरायल और ईरान के बीच चल रहे संघर्ष ने अब एक निर्णायक मोड़ ले लिया है, जिसमें अमेरिका की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है। इजरायल की हवाई हमलों के कारण तेहरान के नागरिक देश छोड़ने पर मजबूर हो रहे हैं। ईरान भले ही बातचीत के लिए तैयार होने का दावा करे, लेकिन युद्ध का मुख्य उद्देश्य ईरान की न्यूक्लियर क्षमताओं को समाप्त करना है। यह तभी संभव है जब ईरान के न्यूक्लियर कार्यक्रम और प्रयोगशालाओं को नष्ट किया जाए।
ट्रंप की प्रतिक्रिया
अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप इस स्थिति से काफी नाराज हैं और उन्होंने जी7 सम्मेलन को छोड़कर अमेरिका लौटने का निर्णय लिया है। व्हाइट हाउस ने पुष्टि की है कि ट्रंप मीडिल ईस्ट में बढ़ते तनाव के कारण सम्मेलन को बीच में छोड़ रहे हैं।
अमेरिका की संभावित सैन्य एंट्री
अटकलें लगाई जा रही हैं कि अमेरिका अब इजरायल-ईरान युद्ध में शामिल हो सकता है। रिपोर्ट्स के अनुसार, अमेरिकी सेना मीडिल ईस्ट की ओर बढ़ रही है और अमेरिका इस क्षेत्र में ठोस कदम उठाने की योजना बना रहा है।
जी7 सम्मेलन में तनाव
जी7 सम्मेलन में विश्व के नेता तनाव को कम करने के लिए एकत्र हुए थे, लेकिन ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर टकराव ने इसे बाधित कर दिया। इजरायल ने हाल ही में ईरान के खिलाफ हवाई हमले शुरू किए हैं। ट्रंप ने चेतावनी दी है कि ईरान को अपने परमाणु कार्यक्रम पर नियंत्रण पाना होगा।
इजरायल की चुनौतियाँ
ट्रंप ने कहा कि ईरानी नेता बातचीत के इच्छुक हो सकते हैं, लेकिन उनके पास अपने परमाणु कार्यक्रमों पर सहमति बनाने के लिए केवल 60 दिन हैं। इजरायल ने ईरान के कई परमाणु स्थलों को निशाना बनाया है, लेकिन फोर्डो यूरेनियम संवर्धन संयंत्र को नष्ट करने में असफल रहा है।