इजरायल का कतर में हवाई हमला: क्या नेतन्याहू ने गलत फैसला लिया?

इजरायल की खुफिया एजेंसी का ऑपरेशन ठुकराना
अंतरराष्ट्रीय समाचार: हाल ही में तेल अवीव से मिली जानकारी के अनुसार, इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने कतर में मौजूद हमास नेताओं के खिलाफ ऑपरेशन चलाने से मना कर दिया। एजेंसी को आशंका थी कि ऐसा कदम उठाने से बंधकों की रिहाई और युद्धविराम की बातचीत में बाधा आ सकती है। इसी कारण मोसाद ने प्रधानमंत्री नेतन्याहू की मंजूरी के बावजूद इस ऑपरेशन में शामिल होने से इनकार कर दिया। उन्हें यह भी चिंता थी कि कतर जैसे महत्वपूर्ण मध्यस्थ के साथ संबंध खराब हो सकते हैं।
नेतन्याहू का हवाई हमले का निर्णय
नेतन्याहू ने चुना हवाई हमला
जब मोसाद ने ऑपरेशन को अस्वीकार कर दिया, तो इजरायली सरकार ने एक वैकल्पिक रास्ता अपनाया। प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने तुरंत F-15 और F-35 जेट से कतर की राजधानी दोहा में हवाई हमले का आदेश दिया। जानकारी रखने वाले दो इजरायली अधिकारियों के अनुसार, यह निर्णय राजनीतिक दबाव के कारण लिया गया था।
इस्माइल हनिया की तरह साजिश टली
इस्माइल हनिया जैसी साजिश टली
रिपोर्ट के अनुसार, नेतन्याहू चाहते थे कि इस ऑपरेशन को ईरान में इस्माइल हनिया की तरह अंजाम दिया जाए, जहां हनिया को उनके कमरे में बम लगाकर मारा गया था। लेकिन मोसाद ने स्पष्ट कर दिया कि वे कतर में ऐसा करने के लिए तैयार नहीं हैं। एक सूत्र ने कहा कि मोसाद को इन नेताओं को पकड़ने के लिए जल्दबाजी करने की आवश्यकता नहीं है।
हमले में बच निकले हमास नेता
हमले में बच निकले हमास नेता
मंगलवार को हुए हवाई हमले का लक्ष्य हमास के प्रमुख नेता खलील अल-हय्या थे, लेकिन वह इस हमले में सुरक्षित बच गए। हमास ने बताया कि अल-हय्या उसी दिन अपने बेटे हम्माम के अंतिम संस्कार में शामिल हुए, जो इस हमले में मारे गए थे। इस प्रकार, इजरायली वायुसेना का यह प्रयास पूरी तरह से विफल रहा।
आंतरिक विरोध और आलोचना
आंतरिक विरोध ने बढ़ाई मुश्किलें
दोहा पर हुए हमले के बाद इजरायल के भीतर से आलोचना शुरू हो गई। कई लोगों ने सवाल उठाया कि जब बंधकों की रिहाई पर बातचीत चल रही थी, तो ऐसे समय पर हमला क्यों किया गया। रक्षा प्रतिष्ठान के कई वरिष्ठ अधिकारियों ने इस हमले को टालने की सलाह दी थी, लेकिन नेतन्याहू ने उनकी चेतावनी को नजरअंदाज कर दिया।
कतर के साथ रिश्तों पर असर
कतर के साथ रिश्तों पर असर
कतर लंबे समय से मध्य पूर्व में शांति वार्ता का केंद्र रहा है। मोसाद के निदेशक डेविड बार्निया का मानना था कि कतर में हमला करना इजरायल के लिए दीर्घकालिक नुकसानदेह हो सकता है। यही कारण था कि उन्होंने इस योजना का कड़ा विरोध किया। अब सवाल यह उठ रहा है कि क्या इजरायल ने कतर को नाराज़ करके अपने लिए बड़ी मुश्किल खड़ी कर दी है।
भविष्य की रणनीति पर संकट
भविष्य की रणनीति पर संकट
हवाई हमले के बाद इजरायल की रणनीति पर गंभीर सवाल उठ खड़े हुए हैं। क्या केवल दबाव में ऐसे फैसले लेने से आतंकवाद समाप्त किया जा सकता है? क्या इससे बंधक रिहाई और युद्धविराम की कोशिशें और जटिल नहीं हो जाएंगी? सुरक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि जल्दबाजी और राजनीतिक दबाव से लिए गए फैसले लंबे समय में नुकसान पहुंचाते हैं। यही कारण है कि अब नेतन्याहू की नीति पर इजरायल में बहस छिड़ गई है।