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इज़रायली सेना का कतर में हमला, ट्रंप ने नेतन्याहू को दी चेतावनी

इज़रायली सेना ने कतर की राजधानी दोहा में हमास के ठिकानों पर हमला किया है, जिससे मध्य पूर्व में तनाव बढ़ गया है। अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इस हमले पर इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू को चेतावनी दी है। कतर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए इस्लामिक और अरब देशों की आपातकालीन समिट बुलाने का निर्णय लिया है। नेतन्याहू ने आतंकियों को शरण देने वाले देशों पर हमले जारी रखने की बात कही है। जानें इस घटनाक्रम के पीछे की पूरी कहानी।
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इज़रायली सेना का कतर में हमला, ट्रंप ने नेतन्याहू को दी चेतावनी

कतर में इज़रायली हमले के बाद बढ़ते तनाव

दोहा/यरुशलम: इज़रायली सेना ने कतर की राजधानी दोहा में हमास के ठिकानों पर हमला किया है। यह वही स्थान है जहां इज़रायल और हमास के बीच कई वर्षों से मध्यस्थता की वार्ताएं चलती रही हैं। इस हमले के कारण पूरे मध्य पूर्व में स्थिति और बिगड़ने की आशंका जताई जा रही है। कतर ने इस पर प्रतिक्रिया देते हुए रविवार और सोमवार को इस्लामिक और अरब देशों की आपातकालीन समिट बुलाने का निर्णय लिया है।


अमेरिकी राष्ट्रपति ने इज़रायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू से फोन पर बातचीत की और अपनी नाराजगी व्यक्त की। रिपोर्टों के अनुसार, ट्रंप ने कहा, “यह पूरी तरह से अस्वीकार्य है। मैं आपको चेतावनी दे रहा हूं, ऐसा दोबारा मत कीजिए।” सूत्रों के अनुसार, दोहा पर हमले ने ट्रंप प्रशासन के सलाहकारों को भी चौंका दिया। ट्रंप ने नेतन्याहू से पूछा कि “आप ऐसा कैसे कर सकते हैं?”


हालांकि, ट्रंप और मुस्लिम देशों की नाराजगी के बावजूद, नेतन्याहू ने पीछे हटने से इनकार कर दिया है। उन्होंने कहा कि “कतर समेत जो देश आतंकियों को शरण देंगे, उन पर हमले जारी रहेंगे।” नेतन्याहू ने कतर को चुनौती दी कि या तो वह आतंकियों को अपने देश से बाहर निकाले या फिर नए हमलों के लिए तैयार रहे। इसके अलावा, इज़रायली सेना ने लेबनान की बेका घाटी में हिजबुल्ला के ठिकानों पर भी हमले किए हैं, जहां सेना का दावा है कि हथियारों का बड़ा जखीरा मौजूद था। इन हमलों के वीडियो सोशल मीडिया पर भी साझा किए गए हैं। इसी बीच, सीरिया ने भी अपने क्षेत्र में हिजबुल्ला के ठिकानों को निशाना बनाया है। यह कदम महत्वपूर्ण माना जा रहा है, क्योंकि वर्तमान राष्ट्रपति अहमद अल शारा हिजबुल्ला के विरोधी माने जाते हैं, जबकि पूर्व राष्ट्रपति बशर अल असद इस संगठन के समर्थक थे।