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इटली में गाजा पर इजरायली हमले के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन: क्या है कारण?

इटली के कई शहरों में गाजा में इजरायली हमलों के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए हैं। प्रदर्शनकारियों ने सरकार की फिलिस्तीन नीति के खिलाफ आवाज उठाई, जिससे कई शहरों में हिंसा भड़क गई। मिलान के सेंट्रल स्टेशन पर स्थिति गंभीर हो गई, जबकि अन्य शहरों में भी प्रदर्शनकारियों ने यातायात को बाधित किया। प्रधानमंत्री मेलोनी की नीति पर विपक्ष ने सवाल उठाए हैं। इस विरोध के बीच, फ्रांस ने फिलिस्तीन को औपचारिक मान्यता दी है। जानें इस मुद्दे की गहराई और इसके पीछे की राजनीति के बारे में।
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इटली में गाजा पर इजरायली हमले के खिलाफ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन: क्या है कारण?

इटली में विरोध प्रदर्शन की लहर

इटली में विरोध: सोमवार को इटली के विभिन्न शहरों में हजारों लोगों ने गाजा में इजरायली हमलों और प्रधानमंत्री जॉर्जिया मेलोनी की सरकार द्वारा फिलिस्तीन को राज्य का दर्जा न देने के खिलाफ सड़कों पर उतरकर विरोध प्रदर्शन किया। 'लेट्स ब्लॉक एवरीथिंग' नामक देशव्यापी हड़ताल के तहत आयोजित इन प्रदर्शनों में पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच गंभीर झड़पें हुईं, जिसमें 60 से अधिक पुलिसकर्मी घायल हुए और 10 से ज्यादा लोगों को गिरफ्तार किया गया। प्रदर्शनकारियों का गुस्सा इटली सरकार की फिलिस्तीन पर मौन नीति और गाजा में इजरायल की सैन्य कार्रवाई के प्रति था। उन्होंने कई बंदरगाहों को बंद कर दिया, जिससे इजरायल को आयुध और आपूर्ति सामग्री भेजने की संभावनाओं को रोकने का प्रयास किया गया।


मिलान में हिंसा की घटनाएं

मिलान में स्थिति बिगड़ी

मिलान के सेंट्रल स्टेशन पर हालात सबसे खराब हो गए, जहां प्रदर्शनकारियों ने पुलिस पर कुर्सियां फेंकी और खिड़कियों को तोड़ दिया। पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए आंसू गैस का इस्तेमाल करना पड़ा। मीडिया रिपोर्टों के अनुसार, इस हिंसा में कई पुलिसकर्मी घायल हुए हैं। प्रधानमंत्री मेलोनी ने इन घटनाओं को शर्मनाक बताते हुए X पर लिखा कि मिलान से आ रही तस्वीरें निंदनीय हैं। उन्होंने कहा कि 'प्रो-पैलेस्टाइन', 'एंटीफा' और 'शांति समर्थक' कहने वाले लोग ट्रेन स्टेशन में तोड़फोड़ कर रहे हैं, जो इटली के नागरिकों को नुकसान पहुंचाएगा।


अन्य शहरों में भी प्रदर्शन

वेनिस, बोलोग्ना और नेपल्स में प्रदर्शन

वेनिस के बंदरगाह पर प्रदर्शनकारियों को हटाने के लिए पुलिस को वॉटर कैनन का सहारा लेना पड़ा। जेनोआ, लिवोर्नो और ट्रिएस्टे जैसे बंदरगाहों पर डॉकवर्कर्स ने भी विरोध प्रदर्शन किया। बोलोग्ना में प्रदर्शनकारियों ने हाइवे को बंद कर दिया, जिससे यातायात बाधित हुआ और पुलिस को फिर से वॉटर कैनन का उपयोग करना पड़ा। नेपल्स में, प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशन में घुस गए और कुछ समय के लिए रेलवे ट्रैक पर कब्जा कर लिया, जिससे ट्रेन सेवाएं प्रभावित हुईं। रोम में हजारों प्रदर्शनकारी रेलवे स्टेशन के बाहर इकट्ठा हुए और शहर की मुख्य रिंग रोड को जाम कर दिया। उनके हाथों में 'Free Palestine' और 'Let’s Block Everything' जैसे स्लोगन लिखी तख्तियां थीं।


मेलोनी की नीति पर विपक्ष का हमला

विपक्ष की नाराजगी

हालांकि इटली ने हाल ही में संयुक्त राष्ट्र में फिलिस्तीन को राज्य मान्यता देने के पक्ष में मतदान किया था, लेकिन प्रधानमंत्री मेलोनी ने अभी तक आधिकारिक मान्यता देने से इनकार किया है। उन्होंने संसद में इजरायल पर अपनी स्थिति को स्पष्ट नहीं किया, जिससे विपक्षी दलों में नाराजगी बढ़ी है। जेनोआ के पोर्ट वर्कर्स कलेक्टिव से जुड़े एक प्रदर्शनकारी रिकी ने कहा कि फिलिस्तीनी लोग हमें गरिमा और प्रतिरोध की नई परिभाषा दे रहे हैं। हम उनसे सीखते हैं और अपना योगदान देने की कोशिश कर रहे हैं।


यूरोप में फिलिस्तीन का समर्थन

फ्रांस का समर्थन

इटली में यह विरोध उस समय हुआ जब फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने फिलिस्तीन को औपचारिक रूप से राज्य के रूप में मान्यता दी। उन्होंने इसे राजनीतिक प्रक्रिया की शुरुआत और सभी के लिए शांति और सुरक्षा की दिशा में कदम बताया। इससे पहले, स्पेन, नॉर्वे, कनाडा, पुर्तगाल, ऑस्ट्रेलिया और यूनाइटेड किंगडम जैसे देशों ने भी फिलिस्तीन को मान्यता दी थी। इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने इस फैसले की आलोचना करते हुए कहा कि यह हमास को इनाम देने जैसा है। गाजा में जारी युद्ध ने अब तक 65,000 से अधिक फिलिस्तीनियों की जान ले ली है और यह लड़ाई अगले महीने दो साल पूरे कर लेगी।