इस्लामाबाद प्रेस क्लब में पुलिस का हमला: पत्रकारों पर बढ़ता खतरा

इस्लामाबाद प्रेस क्लब में पुलिस का हमला
इस्लामाबाद प्रेस क्लब में पुलिस का हमला: पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में सेना की बढ़ती सख्ती और हिंसा ने स्थानीय लोगों में गुस्सा पैदा कर दिया है। हाल ही में हुई गोलीबारी में कई लोगों की जान गई और सैकड़ों लोग घायल हुए। इस गुस्से को दबाने के लिए पाकिस्तान सरकार ने पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को निशाना बनाना शुरू कर दिया है। इस्लामाबाद के प्रेस क्लब में हुई हिंसक घटना ने वैश्विक ध्यान आकर्षित किया है, जहां पुलिस ने पत्रकारों पर हमला किया और प्रेस क्लब में तोड़फोड़ की।
इस्लामाबाद के प्रेस क्लब में उस समय का माहौल भयावह हो गया, जब पुलिस बल ने वहां मौजूद पत्रकारों और PoK से आए कार्यकर्ताओं पर लाठीचार्ज किया। सोशल मीडिया पर वायरल हो रहे वीडियो और तस्वीरों में पुलिस को प्रेस क्लब के अंदर तोड़फोड़ करते और पत्रकारों को पीटते हुए देखा गया। कई पत्रकार और कार्यकर्ता इस हमले में घायल हुए। बताया गया है कि पत्रकार PoK में सेना की कार्रवाई और वहां के लोगों के साथ हो रहे अन्याय को उजागर कर रहे थे।
PoK में सेना की कार्रवाई
PoK में सेना की कार्रवाई: पिछले कुछ समय से PoK में हालात तनावपूर्ण बने हुए हैं। स्थानीय लोग सेना की सख्ती और मानवाधिकारों के उल्लंघन के खिलाफ सड़कों पर उतर रहे हैं। प्रदर्शनों के दौरान सेना की गोलीबारी में कई लोगों की मौत हो चुकी है। लोग आरोप लगा रहे हैं कि सेना न केवल प्रदर्शनकारियों को निशाना बना रही है, बल्कि उनकी आवाज उठाने वालों को भी डराने का प्रयास कर रही है। इस बीच पत्रकारों पर हमला इस बात का संकेत है कि सरकार सच को सामने आने से रोकना चाहती है।
प्रेस की आजादी पर सवाल
प्रेस की आजादी पर सवाल: पाकिस्तान में प्रेस की स्वतंत्रता पहले से ही संदिग्ध रही है। इस्लामाबाद प्रेस क्लब पर हमले ने इस मुद्दे को और गंभीर बना दिया है। पाकिस्तान मानवाधिकार आयोग (HRCP) ने इस घटना की कड़ी निंदा की है। आयोग ने कहा कि पत्रकारों पर हमला अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता पर सीधा प्रहार है। उन्होंने इस मामले की तुरंत जांच और दोषियों को सजा देने की मांग की है।
अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान
अंतरराष्ट्रीय छवि को नुकसान: विशेषज्ञों का मानना है कि इस तरह की घटनाएं पाकिस्तान की अंतरराष्ट्रीय साख को और कमजोर करेंगी। प्रेस क्लब जैसे महत्वपूर्ण संस्थान पर हमला यह दर्शाता है कि देश में न तो पत्रकार सुरक्षित हैं और न ही आम नागरिक। PoK में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघन पहले ही वैश्विक मंचों पर चर्चा का विषय बन चुके हैं। अब प्रेस पर हमले ने पाकिस्तान सरकार की मुश्किलें और बढ़ा दी हैं।
सोशल मीडिया पर प्रतिक्रिया
The sanctity of the @npcisbpk was violated when @ICT_Police stormed the press club and brutally assaulted #journalists covering the #KashmirRightsMovement protest. Journalists were beaten with sticks and forcibly removed from the press club's cafeteria. pic.twitter.com/BfHzG7FDIH
— Rehmat Mehsud (@RehmatMehsuds) October 2, 2025