ईरान-इजराइल युद्ध: अतेफेह राजाबी सहालेह की कहानी और उसके श्राप का प्रभाव

ईरान और इजराइल के बीच चल रहा युद्ध
ईरान और इजराइल के बीच संघर्ष जारी है, जिसमें दोनों देश एक-दूसरे पर लगातार हमले कर रहे हैं। अमेरिका के राष्ट्रपति ने ईरान के सर्वोच्च नेता को आत्मसमर्पण करने की सलाह दी है, यह कहते हुए कि उन्हें उनके ठिकाने का पता है। हालांकि, उन्होंने अभी तक उन पर हमला नहीं किया है, लेकिन उनका धैर्य अब समाप्त हो रहा है। इस युद्ध में ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। इस बीच, अतेफेह राजाबी सहालेह नामक एक महिला की कहानी चर्चा का विषय बन गई है, जिसे 2004 में एक नाबालिग के रूप में सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई थी। कहा जा रहा है कि उसके श्राप के कारण ईरान में तबाही मची हुई है।
अतेफेह राजाबी सहालेह का जीवन
अतेफेह का जन्म ईरान के नेका में हुआ था, लेकिन उसके परिवार ने बाद में मशहद में स्थानांतरित कर लिया। जब वह छोटी थी, उसके माता-पिता के बीच मतभेद हो गए और दोनों अलग हो गए। उसकी मां ने दूसरी शादी कर ली, लेकिन अतेफेह को अपनी मां के साथ रहने में कठिनाई हुई। अंततः उसकी मां की मृत्यु हो गई, जिससे उसका जीवन और भी कठिन हो गया।
मां की मृत्यु के बाद का संघर्ष
जब अतेफेह की उम्र केवल 5 वर्ष थी, तब उसकी मां की एक दुर्घटना में मृत्यु हो गई। इसके बाद उसके भाई की भी नदी में डूबने से मौत हो गई। उसके पिता नशे के आदी हो गए, जिससे वह अकेली पड़ गई। उसे उसके 80 वर्षीय दादा के पास भेजा गया, लेकिन दादा ने उसकी देखभाल ठीक से नहीं की।
पहली गिरफ्तारी और सजा
जब अतेफेह 13 साल की हुई, तो उसे 'शुद्धता के खिलाफ अपराधों' के लिए गिरफ्तार किया गया। उसे एक लड़के के साथ पकड़ा गया और जेल में डाल दिया गया, जहां उसे 100 कोड़े मारे गए। जेल में उसे प्रताड़ित किया गया और बलात्कार का शिकार होना पड़ा।
51 वर्षीय व्यक्ति के साथ संबंध
2003 में, अतेफेह को फिर से गिरफ्तार किया गया और इस बार उसे एक 51 वर्षीय शादीशुदा व्यक्ति के साथ यौन संबंध बनाने का आरोप लगाया गया। कोर्ट में सुनवाई के दौरान उसने इस संबंध को स्वीकार किया।
जज पर गुस्सा और सजा
जब अतेफेह को लगा कि वह अपना केस हार रही है, तो उसने अपना हिजाब हटा दिया, जिसे कोर्ट ने गंभीर अवमानना माना। गुस्से में उसने अपने जूते जज पर फेंक दिए, जिसके बाद उसे मौत की सजा सुनाई गई।
सार्वजनिक फांसी
15 अगस्त 2004 को, अतेफेह को नेका में एक क्रेन से सार्वजनिक रूप से फांसी दी गई। इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर विवाद खड़ा किया, क्योंकि ईरान ने 18 वर्ष से कम उम्र के किसी भी व्यक्ति को मौत की सजा देने का वचन दिया था।
सहालेह की उम्र पर विवाद
अतेफेह की उम्र को लेकर भी विवाद था। उसकी अपील में उसे 22 वर्ष का बताया गया, जबकि अन्य दस्तावेजों में उसकी उम्र 16 वर्ष बताई गई।
सोशल मीडिया पर चर्चा
अभी ईरान और इजराइल के बीच युद्ध चल रहा है, और लोग सोशल मीडिया पर अतेफेह का जिक्र कर रहे हैं, यह कहते हुए कि उसके श्राप के कारण ईरान में तबाही मची हुई है।