ईरान-इजराइल युद्ध में अमेरिका की संभावित भागीदारी

ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की घोषणा
ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की स्थिति: ईरान ने इजराइल के खिलाफ युद्ध की घोषणा कर दी है। इसके साथ ही, ईरान ने तेल अवीव के निवासियों के लिए हिब्रू में चेतावनी जारी की है, जिसमें उन्हें जल्द से जल्द शहर छोड़ने का निर्देश दिया गया है। रिपोर्ट्स के अनुसार, बुधवार की सुबह ईरान ने इजराइल पर फत्ताह मिसाइलें दागी हैं। वहीं, अमेरिका भी इस संघर्ष में शामिल हो सकता है। हालांकि, इस बारे में स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है, लेकिन ट्रंप के हालिया बयानों से ऐसा प्रतीत होता है कि वह युद्ध में भाग लेने के लिए तैयार हैं।
जी7 सम्मेलन से जल्दी लौटे ट्रंप
अमेरिकी राष्ट्रपति ने मंगलवार को व्हाइट हाउस में राष्ट्रीय सुरक्षा टीम के साथ एक घंटे से अधिक समय तक बैठक की। स्थानीय मीडिया के अनुसार, ट्रंप ईरान के परमाणु स्थलों पर हमले की योजना बना सकते हैं। वह जी7 सम्मेलन में भाग लेने के लिए कनाडा गए थे, लेकिन वहां से लौटकर सीधे वाशिंगटन पहुंचे। इस दौरान कई अफवाहें उड़ीं, लेकिन ट्रंप ने उन्हें खारिज कर दिया। अब सवाल यह है कि क्या अमेरिका इस युद्ध में शामिल होगा?
नेतन्याहू का दबाव
भारतीय समयानुसार देर रात ट्रंप ने ईरान को धमकाते हुए तीन ट्वीट किए, जिसमें सरेंडर करने की चेतावनी दी गई थी। यदि ईरान ने सरेंडर नहीं किया, तो अमेरिका के युद्ध में शामिल होने की संभावना बढ़ गई है। खबरें हैं कि इजराइल अब अकेले युद्ध लड़ने की स्थिति में नहीं है, और नेतन्याहू व्हाइट हाउस से मदद मांग रहे हैं।
ईरान की पलटवार की तैयारी
इस बीच, ईरान भी अमेरिका की संभावित भागीदारी को लेकर सक्रिय है। न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, यदि अमेरिका युद्ध में शामिल होता है, तो ईरान की योजना होर्मुज जलडमरूमध्य को नष्ट करने की है, जिससे तेल व्यापार प्रभावित होगा और कीमतें बढ़ जाएंगी। अमेरिका ने यूएई, जॉर्डन, सऊदी अरब सहित क्षेत्र में अपने 40,000 सैनिकों को हाई अलर्ट पर रखा है।
अमेरिका के मित्र देशों की संभावित भागीदारी
यदि अमेरिका युद्ध में शामिल होता है, तो यह संभावना है कि दुनिया चौथे विश्व युद्ध की कगार पर होगी। चीन और रूस ईरान के साथ खड़े हैं, जबकि यूरोप और पश्चिमी देश इजराइल के समर्थन में हैं। मध्य पूर्व के देश अभी तक खुलकर सामने नहीं आए हैं, लेकिन अमेरिका के साथ समझौते के बाद वे खुद को युद्ध से दूर रख सकते हैं। ब्रिटेन ने भी अपने लड़ाकू विमानों को अलर्ट पर रखा है। इस स्थिति में, दुनिया एक बार फिर युद्ध के कगार पर खड़ी है।
आर्थिक प्रभाव
अगर अमेरिका युद्ध में शामिल होता है, तो कच्चे तेल की कीमतें बढ़ सकती हैं। सऊदी अरब और यूएई जैसे देश सीधे तौर पर युद्ध में शामिल नहीं होंगे, लेकिन उनका प्रभाव यूरोप और अमेरिका पर पड़ सकता है। युद्ध के कारण वैश्विक सप्लाई चेन प्रभावित होगी, जिससे शेयर बाजारों में मंदी आ सकती है।