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ईरान-इजराइल संघर्ष: ओपेक+ की भूमिका और वैश्विक तेल बाजार पर प्रभाव

मध्य पूर्व में ईरान-इजराइल युद्ध की संभावना ने वैश्विक चिंता को बढ़ा दिया है। ओपेक+, जिसमें 22 तेल उत्पादक देश शामिल हैं, वैश्विक तेल बाजार को नियंत्रित करता है। इस समूह की शक्ति और ईरान की भौगोलिक स्थिति के कारण, यदि ईरान होर्मुज जलडमरूमध्य को बंद करता है, तो इससे वैश्विक आर्थिक अराजकता उत्पन्न हो सकती है। जानिए ओपेक+ की भूमिका और इसके संभावित प्रभावों के बारे में।
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मध्य पूर्व में बढ़ती तनाव की स्थिति

मध्य पूर्व में ईरान और इजराइल के बीच युद्ध की संभावना ने वैश्विक स्तर पर चिंता बढ़ा दी है। अमेरिका, ब्रिटेन और यूरोप के कई राष्ट्र ईरान के खिलाफ खड़े हो गए हैं, लेकिन इसका ईरान पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। एक महत्वपूर्ण समूह है, ओपेक+, जो वैश्विक तेल बाजार को नियंत्रित करता है और इसमें ईरान सहित 22 तेल उत्पादक देश शामिल हैं। यह संगठन दुनिया के आधे से अधिक कच्चे तेल का उत्पादन करता है।


ओपेक+ एक राजनीतिक संगठन नहीं है, बल्कि यह उन देशों का समूह है जो कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं। हालांकि अन्य देश भी तेल का उत्पादन करते हैं, ओपेक+ की शक्ति इस तथ्य में निहित है कि यह वैश्विक तेल उत्पादन का आधा हिस्सा नियंत्रित करता है। इस समूह का एक छोटा सा बयान भी कच्चे तेल की कीमतों में भारी उतार-चढ़ाव ला सकता है।


ओपेक+ में शामिल देशों में सऊदी अरब, यूएई और रूस जैसे प्रमुख देश शामिल हैं। इसके अलावा, इराक, कुवैत, वेनेजुएला, नाइजीरिया, और अन्य देश भी इस समूह का हिस्सा हैं। ये देश मिलकर दुनिया के आधे से अधिक तेल की आपूर्ति करते हैं।


अमेरिकी ऊर्जा सूचना एजेंसी (ईआईए) के अनुसार, ओपेक और गैर-ओपेक देश मिलकर प्रतिदिन 45.2 मिलियन बैरल कच्चे तेल का उत्पादन करते हैं।


मार्च 2023 तक, ईरान का दैनिक तेल उत्पादन 2.5 मिलियन बैरल था, जो अब बढ़कर 3.3 मिलियन बैरल हो गया है। हालांकि यह उत्पादन इराक और यूएई से कम है, फिर भी यह वैश्विक बाजार के लिए महत्वपूर्ण है।


ईरान की ताकत उसकी भौगोलिक स्थिति में है, क्योंकि वह होर्मुज जलडमरूमध्य को नियंत्रित करता है, जो दुनिया की आधी से अधिक तेल आपूर्ति का मार्ग है। यदि ईरान इस जलडमरूमध्य को बंद कर देता है, तो इससे वैश्विक आर्थिक अराजकता उत्पन्न हो सकती है।


हालांकि ईरान अमेरिका या नाटो से नहीं डरता, लेकिन ओपेक+ के अन्य प्रभावशाली देशों का समर्थन उसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। हाल ही में, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने ओपेक+ देशों से कहा कि कच्चे तेल की कीमतों में वृद्धि का मुख्य कारण ईरान-इजराइल युद्ध है।


हालांकि ओपेक+ कोई राजनीतिक संगठन नहीं है, फिर भी यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वे ईरान को रोकने या युद्ध समाप्त करने के लिए कोई कदम उठाएंगे।