ईरान-इजराइल संघर्ष में क्लस्टर बमों का उपयोग: एक नई चुनौती
ईरान और इजराइल के बीच चल रहे संघर्ष में क्लस्टर बमों के उपयोग ने एक नई चुनौती पेश की है। अमेरिका द्वारा ईरान पर बंकर बस्टर बमों के इस्तेमाल के बाद, ईरान ने इजराइल के खिलाफ क्लस्टर बमों का प्रयोग किया है, जिससे नागरिकों को भारी नुकसान हुआ है। इस लेख में हम क्लस्टर बमों के प्रभाव, उनके उपयोग के पीछे के कारण और अंतरराष्ट्रीय संधियों के बारे में चर्चा करेंगे।
Jun 23, 2025, 15:28 IST
| क्लस्टर बमों का उपयोग और इसके प्रभाव
ईरान और इजराइल के बीच हालिया संघर्ष में ड्रोन और मिसाइलों का उपयोग हो रहा है। अमेरिका ने ईरान पर बंकर बस्टर बमों का प्रयोग किया, जबकि ईरान ने इजराइल के खिलाफ क्लस्टर बमों का इस्तेमाल किया है। इन बमों ने नागरिकों को गंभीर नुकसान पहुँचाया है।इजराइल रक्षा बल (आईडीएफ) ने पुष्टि की है कि 19 जून को ईरान द्वारा दागी गई एक मिसाइल में क्लस्टर बम वारहेड था। यह पहली बार है जब इस युद्ध में क्लस्टर बमों का उपयोग किया गया है।
क्लस्टर बम एक प्रकार का विस्फोटक होता है जिसमें कई छोटे बम होते हैं। जब यह बम हवा में खुलता है, तो इसके छोटे बम एक बड़े क्षेत्र में गिरते हैं और विस्फोट करते हैं। ये बम कई लक्ष्यों को एक साथ निशाना बनाने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं, जिससे टैंकों, सैन्य उपकरणों और सैनिकों को नुकसान पहुँचाया जा सकता है।
भारत उन देशों में शामिल है जिन्होंने क्लस्टर बमों के उपयोग पर रोक लगाने वाली संधि पर हस्ताक्षर नहीं किए हैं। भारत सहित 16 देशों ने अपनी राष्ट्रीय सुरक्षा का हवाला देते हुए इस संधि पर हस्ताक्षर करने से इनकार किया है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि भारत ने अब तक इस बम का उपयोग नहीं किया है, लेकिन आवश्यकता पड़ने पर इसका उपयोग कर सकता है।
2008 में क्लस्टर बमों के उपयोग, भंडारण, हस्तांतरण और उत्पादन पर रोक लगाने के लिए एक अंतरराष्ट्रीय संधि पर हस्ताक्षर किए गए थे। इस संधि पर कुल 111 देशों और 12 अन्य संगठनों ने हस्ताक्षर किए हैं, लेकिन ईरान, इजराइल और अमेरिका जैसे प्रमुख देश इस संधि में शामिल होने से इनकार कर चुके हैं।